


भारतीय सेना ने कारगिल विजय दिवस के मौके पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की। फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के सहयोग से द्रास के लामोचन क्षेत्र में एक 72 फुट ऊंचा राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। यह क्षेत्र कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय सेना के लिए महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थल था।
इस ऐतिहासिक मौके पर लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, 14 कोर ने ध्वज फहराया। उनके साथ मेजर जनरल असीम कोहली (सेवानिवृत्त), जो फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के सीईओ भी हैं, उपस्थित थे। यह कदम भारतीय सेना द्वारा उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के रूप में देखा जा रहा है, जिन्होंने कारगिल युद्ध के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी और देश की सुरक्षा सुनिश्चित की।
शहीदों के प्रति श्रद्धांजलि
यह राष्ट्रीय ध्वज न केवल भारतीय सेना की गौरवमयी विरासत का प्रतीक है, बल्कि यह उन साहसी सैनिकों की बलिदान को भी याद दिलाता है, जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में अपनी जान दे दी थी। भारत के इन वीर सपूतों ने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से देश की सीमाओं को सुरक्षित किया और पूरी दुनिया को भारतीय सेना की वीरता और शक्ति का अहसास कराया।
द्रास: रणनीतिक महत्व
द्रास क्षेत्र, जो कारगिल जिले का हिस्सा है, वह स्थान है जहां भारतीय सेना ने अपने अद्वितीय साहस और दृढ़ निश्चय से पाकिस्तानी सेना को हराया था। यह स्थान युद्ध के दौरान कई निर्णायक लड़ाइयों का गवाह बना और भारतीय सेना की जीत का प्रतीक बन गया।
राष्ट्रीय ध्वज का महत्व
इस 72 फुट ऊंचे राष्ट्रीय ध्वज को फहराने का उद्देश्य भारतीय सेना के वीर शहीदों के सम्मान में एक स्थायी स्मारक के रूप में स्थापित करना है। यह ध्वज न केवल भारतीय सैन्य बलों की शौर्य गाथाओं को याद करता है, बल्कि भारतीय नागरिकों के लिए एक प्रेरणा भी है।
राष्ट्र की याद
कारगिल विजय दिवस केवल भारतीय सैनिकों के बलिदान को याद करने का दिन नहीं है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र के लिए एक समर्पण और एकता का प्रतीक है। यह हमें हमारे सुरक्षा बलों के योगदान को सराहने की याद दिलाता है और हमें अपनी मातृभूमि के लिए हमेशा तैयार रहने का प्रेरणा देता है।