


मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश सरकार संकट की घड़ी में बाढ़ प्रभावित परिवारों के साथ है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास समत्व भवन से प्रदेश के 28 हजार से अधिक बाढ़ प्रभावितों को 30 करोड़ की राशि का सिंगल क्लिक से अंतरण कर प्रभावितों से चर्चा कर रहे थे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने शिवपुरी, गुना, दमोह, रायसेन, छिंदवाड़ा के बाढ़ प्रभावितों से वर्चुअली चर्चा की। उन्होंने प्रभावितों से बाढ़ के दौरान प्रशासन द्वारा किए गए प्रबंधों की जानकारी ली। शिवपुरी के श्री भागचंद, मऊगंज के श्री राधेश्याम साकेत, दमोह के श्री हेमराज, रायसेन के श्री गोविंद सिंह सेन, छिंदवाड़ा के श्री चंद्रमोहन सहित गुना और अन्य जिले के बाढ़ प्रभावितों ने बताया कि इस वर्षाकाल में जैसी बाढ़ आयी, वैसी पहले कभी नहीं आयी थी। प्रशासन के द्वारा बाढ़ के दौरान हम प्रभावित परिवारों को कैम्प लगाकर रहने की व्यवस्था के साथ भोजन आदि की व्यवस्था भी की गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि यह हमारे संस्कार ही हैं कि कष्ट की इस घड़ी में भी ग्रामीणजन अपनी बात विनम्रता के साथ कह रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बार मानसून काल में अब तक 37 प्रतिशत अधिक वर्षा हो चुकी है, जिससे प्रदेश के कई क्षेत्रों में बाढ़ की स्थिति बनी। उन्होंने स्वयं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचकर प्रभावितों से मुलाकात की और स्थिति का जायजा लिया।
सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि सरकार ने वर्षाकाल में बाढ़ से निपटने के पहले से इंतजाम कर रखे थे। राज्य के मंत्रीगण और केन्द्रीय मंत्रीगण सभी से सम्पर्क बनाकर प्रदेश के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बचाव कार्य के प्रबंधन की व्यवस्था की थी। उन्होंने कहा कि अतिवृष्टि और बाढ़ के संकट से निपटने के लिए एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना के जवानों की जहां आवश्यकता पड़ी, वहां सक्रिय किया गया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अतिवृष्टि और बाढ़ से प्रभावितों को मदद करने में सामाजिक और धार्मिक संगठनों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मुख्यमंत्री ने इन संगठनों के प्रति आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में भ्रमण के दौरान मिले अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि शिवपुरी में दो व्यक्ति बाढ़ में 36 घंटे घिरे रहे और उन्हें प्रशासन ने बाढ़ से बाहर निकाला। इन व्यक्तियों का कहना था कि वे प्रशासन के प्रयासों से ही से बाढ़ से बाहर निकल सकें। इसी प्रकार गुना में बाढ़ प्रभावित महिलाओं से मिलने के दौरान सबसे पहले बहनों ने उन्हें राखी भेंट की। इसके बाद उन्होंने बाढ़ की बात कही। उन्होंने कहा कि बहनों ने अपने कष्ट की बात कहने से पहले राखी भेंट की, यह हमारी संस्कृति है।