


चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि ऑपरेशन सिंदूर अब भी जारी है और यह भारत की सैन्य रणनीति का एक अहम हिस्सा बना हुआ है। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को घुटनों पर ला दिया था और इसकी वजह से भारत की सेना को हर समय, हर परिस्थिति के लिए तैयार रहना होगा — 24 घंटे, 365 दिन।
दिल्ली के सुब्रतो पार्क में आयोजित रक्षा संगोष्ठी (Defence Seminar) में अपने संबोधन के दौरान जनरल चौहान ने कहा कि भविष्य की सेनाएं सिर्फ युद्ध के हथियारों से नहीं, बल्कि ज्ञान और तकनीक से भी लैस होनी चाहिए।
“शस्त्र के साथ शास्त्र भी जरूरी”
CDS ने अपने बयान में सेना की भूमिका को फिर से परिभाषित करते हुए कहा- सेना को सिर्फ शस्त्र नहीं, बल्कि शास्त्र का भी ज्ञान होना चाहिए। आज का युद्ध सिर्फ बंदूक और टैंक तक सीमित नहीं रहा। अब साइबर, स्पेस, ड्रोन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में भी हमें युद्ध लड़ना है। उन्होंने कहा कि भारत को ऐसी सेनाएं चाहिए जो वारियर (योद्धा) हों, लेकिन साथ ही थिंकर (सोचने वाले) भी। उन्होंने युवाओं और सेना के अधिकारियों से अपील की कि वे खुद को सिर्फ सैनिक नहीं, बल्कि रणनीतिकार और टेक्नोलॉजी लीडर भी बनाएं।
क्या है ऑपरेशन सिंदूर?
हालांकि ऑपरेशन सिंदूर को लेकर आधिकारिक रूप से बहुत अधिक जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, लेकिन रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार यह एक गुप्त सैन्य अभियान है, जिसने पाकिस्तान के खिलाफ भारत की रणनीतिक पकड़ को मजबूत किया। यह ऑपरेशन भारत की खुफिया और तकनीकी क्षमताओं का एक बेहतरीन उदाहरण माना जा रहा है।
तकनीकी युद्ध की तैयारी
CDS जनरल चौहान ने अपने संबोधन में आगे कहा कि भविष्य के युद्ध ‘हाइब्रिड’ होंगे — जिनमें पारंपरिक युद्ध के साथ-साथ साइबर अटैक, सूचना युद्ध, और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर जैसी चुनौतियां होंगी। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय सेना को अब परंपरागत हथियारों से आगे बढ़कर टेक्नोलॉजी-ड्रिवन बनना होगा।
मुख्य बिंदु:
- ऑपरेशन सिंदूर अभी भी सक्रिय और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण।
- सेना को 24x7 तैयार रहने की आवश्यकता।
- शस्त्र (हथियार) के साथ शास्त्र (ज्ञान) भी जरूरी।
- सेना को भविष्य की तकनीकों जैसे साइबर, AI, ड्रोन से लैस किया जाएगा।
- युद्ध अब केवल मैदान में नहीं, डिजिटल स्पेस में भी लड़ा जाएगा।