पाकिस्तान पर भारत की ओर से जो कार्रवाई की गई है उसका असर अब दुनिया देख रही है। ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना का पराक्रम सभी ने देखा। भारतीय हथियारों की भी जमकर चर्चा हो रही है। इस ऑपरेशन में पाकिस्तान और PoK में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाया गया। इस ऑपरेशन में तोपों का इस्तेमाल बहुत सटीक तरीके से किया गया। इससे PoK में मौजूद सात आतंकी कैंप पूरी तरह से नष्ट हो गए। सेना ने Soltam, बोफोर्स, M777 तोपों का इस्तेमाल किया। ड्रोन का इस्तेमाल निगरानी के लिए किया गया। ड्रोन से मिली जानकारी के आधार पर तोपों के डायरेक्शन में मदद मिली। इससे सटीक निशाना लगाने में मदद मिली। सेना की इस कार्रवाई से आतंकियों को भारी नुकसान हुआ।
सेना लगातार अपने तोपखाने को आधुनिक बना रही है। स्वदेशी तोपों को भी बेहतर बनाया जा रहा है। इससे दुश्मन के ठिकानों को निशाना बनाने की क्षमता बढ़ गई है। सेना के सूत्रों के अनुसार तोपों के जरिए जिन आतंकी कैंप को निशाना बनाया गया वे एलओसी से 6 से 16 किलोमीटर की दूरी पर थे।
भारतीय सेना का तोपखाना एक गौरवशाली इतिहास समेटे हुए है, जिसकी स्थापना 28 सितंबर, 1827 को हुई थी। आज, सेना इस पारंपरिक शक्ति को केवल प्रभाव डालने वाला हथियार नहीं, बल्कि निर्णायक हथिायार के रूप में विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। इसी विजन के तहत तोपखाने के आधुनिकीकरण की व्यापक योजना पर काम चल रहा है। जिससे इसकी समग्र शक्ति और प्रभाव में और वृद्धि होगी।