


मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में इस साल मानसून की एंट्री 10 मई के बाद होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार मानसून के आगमन के 3-4 दिन बाद तक भारी बारिश का दौर रहेगा, जिसके बाद बारिश की तीव्रता कम हो जाएगी। हालांकि, हल्की-फुल्की बारिश लगातार जारी रह सकती है।
गर्मी और उमस का सिलसिला जारी
मानसून के आने से पहले तक प्रदेश के कई हिस्सों में गर्मी और उमस रहेगी। अगले कुछ दिनों में तापमान 38 से 42 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है। हालांकि, मानसून की शुरुआत के साथ ही तापमान में गिरावट आएगी, लेकिन उमस भरी गर्मी का असर बना रह सकता है।
कहां पहुंचा मानसून?
दक्षिण-पश्चिम मानसून तय समय से 8 दिन पहले 24 मई को केरल पहुंचा। ऐसा 16 साल बाद हुआ था। 2009 में 23 मई को केरल पहुंचा था। मुंबई में बारिश लाने वाला सिस्टम 16 दिन पहले ही एक्टिव हो गया। यह 1950 के बाद से सबसे जल्दी है।
आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून 1 जून तक केरल पहुंचता है। 11 जून तक मुंबई और 8 जुलाई तक पूरे देश में फैल जाता है। इसकी वापसी उत्तर-पश्चिम भारत से 17 सितंबर को शुरू होती है और यह पूरी तरह 15 अक्टूबर तक लौट जाता है।
भारत में इस बार मानसून जल्दी पहुंचने की मुख्य वजह अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में बढ़ी हुई नमी है। समुद्र का तापमान सामान्य से ज्यादा रहा, जिससे मानसूनी हवाएं तेजी से सक्रिय हुईं।
पश्चिमी हवाओं और चक्रवातों की हलचल ने भी मानसून को आगे बढ़ने में मदद की। इसके अलावा जलवायु परिवर्तन भी मौसम के पैटर्न में बदलाव की एक बड़ी वजह बन रहा है।