


हिंदू धर्म में सीता नवमी का विशेष महत्व है, जो माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन माता सीता का धरती पर अवतरण हुआ था। यह पर्व हर साल वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आता है और इसे जानकी जयंती के नाम से भी जाना जाता है।
शुभ योगों का संयोग
सीता नवमी पर कई शुभ योग बन रहे हैं, जो इस पर्व को और भी विशेष बना रहे हैं। रवि योग, अभिजित मुहूर्त और विजय मुहूर्त जैसे शुभ योगों का संयोग इस दिन को और भी महत्वपूर्ण बना रहा है।
पूजा का शुभ समय
सीता नवमी के दिन पूजा करने का शुभ समय सुबह से लेकर दोपहर तक है। इस समय पर पूजा करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है और माता सीता की कृपा प्राप्त होती है।
पूजा विधि
सीता नवमी के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। पूजा स्थल को शुद्ध करें और माता सीता और भगवान राम की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें फूल, फल, धूप, दीप और फल-मिठाई अर्पित करें। सीता चालीसा और जानकी स्तोत्र का पाठ करें और भगवान राम और माता सीता के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
सीता नवमी का महत्व
सीता नवमी का व्रत सुहागन महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन व्रत रखने से पति की दीर्घायु और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। माता सीता की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में सुख-शांति आती है। सीता नवमी एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो माता सीता के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन कई शुभ योगों का संयोग बन रहा है, जो इस पर्व की महिमा को और भी बढ़ा रहा है। सीता नवमी के दिन पूजा करने का शुभ समय और पूजा विधि का पालन करके, हम माता सीता की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सुख-शांति ला सकते हैं।