


कई बार जन्मकुंडली में सूर्य प्रतिकूल होता है या उस पर क्रूर ग्रहों की (spiritual) नजर होती है। ऐसे में ज्योतिषी अक्सर सूर्य के उपाय बताते हैं। इन उपायों में भी सूर्य को जल चढ़ाने का उपाय सबसे अधिक बताया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि गलत तरीके से जल चढ़ाने पर फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है। यही नहीं, गलत तरह से सूर्य को अर्ध्य देने या जल चढ़ाने पर व्यक्ति करोड़पति से कंगाल भी बन सकता है।
इस तरह से दें सूर्य को अर्ध्य
सूर्य को अर्ध्य देने का सबसे सही तरीका है कि सुबह स्नान के बाद साफ धुले हुए कपड़े पहन कर अर्ध्य दिया जाए। उस समय गंदे और बिना धुले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। मन में अच्छे विचार हों। सूर्य को जल चढ़ाने के बाद उन्हें नमस्कार करें तथा गायत्री मंत्र का 11 या 21 बार जप करें। इस तरह जल चढ़ाने से व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं और वह जीवन में सफलता, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त करता है। सूर्य के उपाय आम तौर पर रविवार से शुरू किए जाते हैं।
जल चढ़ाते वक्त न करें ये गलतियां
जाने-अनजाने में सूर्य को जल चढ़ाते समय हमसे कई गलतियां हो जाती हैं जो नहीं होनी चाहिए। ये इस प्रकार हैं
- कभी भी बिना धुले कपड़े पहन कर जल न चढ़ाएं। यदि ऐसा नहीं हो सकता तो टॉवल लपेट कर ही अर्ध्य देना उपयुक्त रहेगा।
- अर्ध्य देते समय जो जल भूमि पर गिरता है, वह किसी साफ-सुथरे स्थान पर जाना चाहिए। यदि सूर्य को चढ़ाया गया पानी गिर कर गंदे स्थान पर जाता है तो इससे दोष लगता है और सौभाग्य भी दुर्भाग्य में बदल जाता है।
- उसके छींटे पैरों में नहीं लगने चाहिए। ऐसा करना भी एक तरह का दोष है। अतः पानी चढ़ाते समय इस तरह खड़े होना चाहिए कि पानी के छींटे बिल्कुल भी पैरों में न लगें बल्कि किसी स्वच्छ स्थान पर बह कर चला जाएं।
- सूर्य को अर्ध्य देने के लिए ब्रह्म मुहूर्त का समय सर्वोत्तम माना गया है। यदि उस समय ऐसा न कर सकें तो दोपहर 12 बजे तक चढ़ा सकते हैं। परन्तु दोपहर 12 बजे बाद किसी भी स्थिति में सूर्य को अर्ध्य नहीं देना चाहिए।
- जन्मकुंडली के आधार पर कई बार जल में पुष्प, सिंदूर या दूसरी वस्तुएं मिला कर फिर सूर्य को अर्ध्य देने की सलाह दी जाती है। यदि आपको किसी विद्वान ज्योतिषी ने ऐसा करने की सलाह नहीं दी है तो आपको भूल कर भी नहीं करना चाहिए। आप सामान्य जल ही चढ़ाएं अन्यथा फायदे की जगह नुकसान भी हो सकता है।