AIIMS भोपाल ने मध्य प्रदेश में चिकित्सा विज्ञान की दिशा में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान में अब प्रोस्टेट आर्टरी एम्बोलाइजेशन (PAE) तकनीक से बढ़े हुए प्रोस्टेट (BPH) का उपचार शुरू किया गया है। यह प्रक्रिया पूरी तरह बिना सर्जरी, बिना भर्ती और बिना चीरे के की जाती है। एम्स भोपाल के रेडियोलॉजी डायग्नोसिस विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ.) राजेश मलिक ने बताया कि यह प्रक्रिया अमेरिकन यूरोलॉजिकल एसोसिएशन और NICE यूके गाइडलाइंस द्वारा अनुमोदित है। इस तकनीक से मरीज तेजी से स्वस्थ होते हैं, उन्हें सामान्य जीवन में लौटने में कम समय लगता है और यौन क्षमता पूरी तरह सुरक्षित रहती है।
क्या है प्रोस्टेट आर्टरी एम्बोलाइजेशन (PAE)?
यह एक मिनिमली इनवेसिव तकनीक है, जिसमें इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट प्रोस्टेट की धमनियों में सूक्ष्म कण (माइक्रोपार्टिकल्स) प्रवाहित करते हैं। इससे प्रोस्टेट की रक्त आपूर्ति घट जाती है, जिससे उसका आकार स्वाभाविक रूप से सिकुड़ जाता है। यह प्रक्रिया कलाई या जांघ की धमनी में केवल एक सूक्ष्म छेद (पिनहोल) के माध्यम से की जाती है और इसमें सामान्य एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं होती केवल स्थानीय सुन्नीकरण पर्याप्त होता है।
प्रदेशवासियों के लिए बड़ी राहत
एम्स भोपाल का इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ट्रीटमेंट सेंटर अब प्रदेश में इस तकनीक को अपनाने वाला अग्रणी संस्थान बन गया है। डॉ. मलिक ने बताया कि अब प्रदेश के मरीजों को इस अत्याधुनिक तकनीक के लिए दिल्ली या मुंबई जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एम्स भोपाल में यह सुविधा स्थानीय स्तर पर उपलब्ध है। यह पहल एम्स भोपाल की एडवांस लेकिन अफोर्डेबल हेल्थकेयर की नीति का हिस्सा है, जिसके तहत संस्थान लगातार आधुनिक तकनीकों को अपनाकर मरीजों के इलाज को और अधिक सुरक्षित, आरामदायक और परिणामदायक बना रहा है।