


मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित भारत भवन 43 साल का हो गया है, जिसने भारत सहित दुनिया भर की बहु कलाओं को शहर तक लाने का काम किया है। इस केंद्र ने संस्कृति, कला, इतिहास, अभिव्यक्ति, सभ्यता और इंसानियत का संगम करके विभिन्न विधाओं के कलाकारों को गढ़ा है। भारत भवन से भोपालियों के जीवन पर नाना प्रकार का असर हुआ।
चार्ल्स कोरिया ने बनाया था नक्शा
भारत भवन का नक्शा आधुनिक वास्तुकला के निर्माता चार्ल्स कोरिया ने बनाया था। इस केंद्र को स्थानीयता के सिद्धांत (संसाधन) पर बनाया गया। शहर के कई रईसों ने अपने घर की बाहरी डिजाइन यहां से कॉपी की। राजधानी के अधिकांश सरकारी कार्यालयों में इस डिजाइन को देखा जा सकता है। कई देशों के आर्किटेक्चर्स ने इसका अध्ययन किया है। बीते 30-40 साल में दुनिया भर में बने कला केंद्रों में भारत भवन की छाप स्पष्ट रूप में दिखाई देती है।
हजार प्रकार के हुए कार्ड डिजाइन
भारत भवन के आयोजन नवाचार से युक्त होते हैं। शुरुआत के 30 सालों तक यहां होने वाले आयोजन के कार्ड देश भर के कलाकर्मियों तक डाक द्वारा भेजे जाते थे। कार्ड का डिजाइन विधा, थीम और ऋतु के आधार पर निर्भर करता था। एक हजार से ज्यादा प्रकार के कार्डों की डिजाइन भरत भवन की कार्यशालाओं में हुई है। इसलिए लंबे समय तक भोपाल में आयोजित होने वाले सभी तरह के कार्यक्रम के कार्ड भारत भवन की कॉपी होते थे।
अनेक तरह के प्रशिक्षण केंद्र खुले
भोपाल का रंगकर्म दुनिया भर में प्रसिद्ध है। यहां से एक्टिंग सीखे हुए कलाकार फिल्म जगत और अभिनय जगत में बड़े-बड़े मुकाम हासिल कर चुके हैं। वर्तमान में करीब दो हजार रंगकर्मी यहां पर सक्रिय हैं। यही बात चित्रकला, मूर्तिकला, शिल्पकला, संगीत, नृत्य और साहित्य जैसी सांस्कृतिक गतिविधियां पर लागू होती है। इन कलाओं के अनेक निजी प्रशिक्षण केंद्र शहर भर में हैं, जिनके प्रशिक्षणकर्ताओं का संबंध भारत भवन से रहा है।