


मध्य प्रदेश में नवरात्र के दौरान राज्य सरकार ने पिछड़ी जनजातियों के लिए नई व्यवस्था बनाई है। इसके तहत बैगा, भारिया और सहरिया जनजाति के प्रासंगिक उम्मीदवारों को कुछ भर्ती प्रक्रियाओं में सामान्य प्रतियोगिता से अलग राह दी जाएगी। नियम यह है कि यदि ये उम्मीदवार संविदा शाला शिक्षक, तृतीय-चतुर्थ श्रेणी के पद या वनरक्षक जैसे पदों के लिए आवेदन करते हैं, तो निर्धारित न्यूनतम योग्यता की उपस्थिति के बाद पदों पर नियुक्ति कर दी जाएगी — बिना लंबी प्रक्रियाओं के।
सरकार ने पहले से पहचाने गए 75 जनजातीय समूहों में से कुछ को विशेष कमजोर घटक मानकर यह छूट दी है। इस नीति का लक्ष्य उन समुदायों तक सरकारी नौकरी के अवसरों को सीधा और तेज़ पहुँचाना बताया गया है, जिन तक पूर्व में कई योजनाओं का लाभ सीमित इलाकों में रहा करता था।
इससे पहले क्या होता था
आम तौर पर इन पदों के लिए उम्मीदवारों को पारंपरिक भर्ती प्रक्रियाओं, परीक्षाओं या चयन सूचियों से गुजरना पड़ता था। नई व्यवस्था में, यदि उम्मीदवार उपरोक्त जनजातियों में से है और न्यूनतम शैक्षणिक/अन्य योग्यता पूरी करता है, तो उसे चयनित कर लिया जाएगा — जिससे भर्ती की प्रक्रिया सरल और तेज़ बनेगी।