भारत में अब बच्चों की लैब रिपोर्ट विदेशी मानकों के आधार पर नहीं, बल्कि भारतीय औसत पर तैयार की जाएंगी। केंद्र सरकार के निर्देश पर नई दिल्ली स्थित भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) बच्चों और किशोरों के लिए देश का पहला मेडिकल रेफरेंस डाटाबेस तैयार करने जा रहा है। इसके तहत देश के अलग-अलग हिस्सों से रक्त, जैव रसायन, हार्मोन और अन्य मेडिकल पैरामीटर्स के मानक तय किए जाएंगे। अभी तक भारत की प्रयोगशालाओं में जो रेफरेंस इंटरवल्स यानी संदर्भ इस्तेमाल किए जा रहे हैं वे ज्यादातर अमेरिका या यूरोप की जनसंख्या पर आधारित हैं। अगर आसान शब्दों में कहें तो भारत में चिकित्सा जांच विदेशी मानकों पर आधारित होती है।
यह स्थिति खासकर बच्चों के मामले में गंभीर है क्योंकि उम्र, लिंग, खानपान और भौगोलिक परिस्थितियों के अंतर के कारण भारतीय बच्चों की बायोलॉजिकल वैल्यू पश्चिमी देशों से काफी अलग होती हैं। इसी वजह से कई बार बच्चों की रिपोर्ट सामान्य या असामान्य की गलत व्याख्या हो जाती है जिससे इलाज और दवा की खुराक प्रभावित होती है। इसलिए अब सरकार ने बच्चों और किशोरों को लेकर स्वयं के मानक तय करने का फैसला लिया है।
माता पिता देंगे लिखित सहमति, तभी बच्चे होंगे शामिल
आईसीएमआर ने जानकारी दी है कि भारतीय मानकों को तैयार करने के लिए एक अध्ययन किया जाएगा जो एक बहुकेन्द्रीय आबादी आधारित क्रॉस-सेक्शनल अध्ययन होगा। देशभर की एनएबीएल मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाएंइसमें शामिल होंगी जो रक्त व अन्य जैविक नमूनों का विश्लेषण करेंगी। सभी केंद्र को स्वस्थ बच्चों की पहचान करने के साथ साथ नमूनों का संग्रह और परिवहन के अलावा विश्लेषण और डाटा सत्यापन एकीकृत मानक प्रोटोकॉल (एसओपी) के तहत करनी होगा। आईसीएमआर ने साफ तौर पर कहा है कि हर प्रतिभागी की भागीदारी माता-पिता की लिखित सहमति और बच्चों की रजामंदी के बाद ही की जाएगी।