


इसरो के प्रमुख वी नारायणन ने शनिवार को कहा कि इसरो के पहले अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन(स्पेडेक्स) में कोई खराबी नहीं है और यह कदम दर कदम आगे बढ़ रहा है. उन्होंने कुछ मीडिया प्रतिष्ठानों की ओर से प्रकाशित खराबी आने संबंधी खबरों को खारिज कर दिया. अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने यहां 15वें द्विवार्षिक एयरो इंडिया इंटरनेशनल सेमिनार, 2025 के लिए आयोजित कार्यक्रम से इतर कहा कि कोई खराबी नहीं है, अभी इसे डॉक किया गया है. हम कदम दर कदम आगे बढ़ रहे हैं. हम अध्ययन कर रहे हैं और फिर हम कई प्रयोग करने की योजना बना रहे हैं.
दो उपग्रहों का नियंत्रण सफल
इसरो ने 16 जनवरी को स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पेडेक्स) के तहत उपग्रहों की डॉकिंग सफलतापूर्वक की और अंतरिक्ष एजेंसी ने यह भी घोषणा की कि डॉकिंग के बाद एक ही वस्तु के रूप में दो उपग्रहों का नियंत्रण सफल रहा. इस मिशन के तहत एनवीएस-02 नेविगेशन उपग्रह को इच्छित जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट में सफलतापूर्वक स्थापित किया गया था.
ऑक्सीडाइजर को इजाजत
दो फरवरी को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एक अपडेट जारी करके कहा था कि उपग्रह को स्पेसिफाइड कक्षीय स्थिति में स्थापित करने की दिशा में कक्षा एलिवेशन अभियान नहीं चलाया जा सका क्योंकि कक्षा एलिवेशन के लिए थ्रस्टर्स को लॉन्च करने के लिए ऑक्सीडाइजर को अनुमति देने के लिए वाल्व नहीं खुले.
डॉकिंग में तकनीकी खराबी
कुछ खबरों में हाल ही में दावा किया गया था कि अंतरिक्ष डॉकिंग में तकनीकी खराबी आ सकती हैं क्योंकि दो अंतरिक्ष यान – एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02 का अभी अनडॉक होना बाकी है. लेकिन नारायणन ने पहले भी कहा था कि अंतरिक्ष एजेंसी अब भी अनडॉकिंग प्रक्रिया की समीक्षा कर रही है और इस कवायद में कुछ समय लग सकता है.
दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग
इसरो के अनुसार, स्पेडेक्स मिशन दो छोटे अंतरिक्ष यान का उपयोग करके अंतरिक्ष में डॉकिंग के प्रदर्शन के लिए एक लागत प्रभावी टेक्नोलॉजी डेमोंस्ट्रेटर मिशन है, जिसे पीएसएलवी रॉकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया था. अंतरिक्ष में डॉकिंग तकनीक तब आवश्यक होती है जब मिशन के साझा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कई रॉकेट लॉन्च करने की आवश्यकता होती है.