


एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को भारत के दूरसंचार विभाग से एक लाइसेंस मिल गया है. यह लाइसेंस स्टारलिंक को भारत में अपनी सेवाएं शुरू करने के लिए मिला है. स्टारलिंक तीसरी कंपनी है जिसे यह अनुमति मिली. इससे पहले यूटेलसैट वनवेब और रिलायंस जियो को मंजूरी दी गई थी. संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने घोषणा की कि स्टारलिंक को तीसरे सैटेलाइट इंटरनेट प्रोवाइडर के रूप में लाइसेंस दिया गया है. लाइसेंस के बाद स्पेक्ट्रम आवंटन होगा, जिससे सैटेलाइट टेलीकॉम सेवाएं तेजी से शुरू होंगी. यह सेवा खासकर उन क्षेत्रों में इंटरनेट पहुंचाएगी जहां पारंपरिक नेटवर्क स्थापित करना मुश्किल है.
भारत सरकार से मंजूरी के बाद अब स्टारलिंक भारत में अपने सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस की शुरुआत करने के और करीब पहुंच गया है. अब स्टारलिंक भारत की तीसरी ऐसी कंपनी बन गई है जिसे सैटेलाइट इंटरनेट सेवा देने की अनुमति मिली है.
संचार मंत्री ने मंजूरी के बारे में बताया
देश के संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने यह जानकारी दी कि अब स्टारलिंक को भारत में सेवा शुरू करने की अनुमति दे दी गई है. उन्होंने बताया कि इससे पहले भारती एयरटेल की OneWeb और रिलायंस की Jio को भी सरकार की तरफ से लाइसेंस जारी किया गया था. अब स्टारलिंक को भी ये लाइसेंस मिलने से भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सेवाएं एक नया रूप लेंगी.
सिंधिया ने यह भी साफ किया कि लाइसेंस मिलने के बाद अगला कदम स्पेक्ट्रम अलॉटमेंट का होगा. यानी सरकार अब कंपनियों को आवश्यक रेडियो फ्रिक्वेंसी यानी स्पेक्ट्रम देगी, जिससे वे सेवा शुरू कर सकें. इसके बाद भारत में सैटेलाइट टेलीकॉम सेवाएं बहुत तेज़ी से शुरू होंगी और उम्मीद है कि काफी बड़ी संख्या में लोग इसका फायदा उठाएंगे.
उन्होंने कहा कि स्टारलिंक की सैटेलाइट कनेक्टिविटी देश की टेलीकॉम सेवाओं में एक महत्वपूर्ण जोड़ है. पहले सिर्फ फिक्स्ड लाइन कनेक्शन होते थे, फिर मोबाइल नेटवर्क आया, फिर ब्रॉडबैंड और अब ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क भी आ गया है. इन सबके साथ-साथ अब सैटेलाइट कनेक्टिविटी भी बेहद जरूरी हो गई है.
सिंधिया ने यह भी कहा कि देश के उन इलाकों में जहां परंपरागत टावर या केबल लगाना मुश्किल होता है, वहां तक इंटरनेट पहुंचाना अब सैटेलाइट तकनीक से संभव होगा. इससे दूर-दराज और पहाड़ी क्षेत्रों में भी अच्छी इंटरनेट सेवा मिल सकेगी और डिजिटल इंडिया की दिशा में एक मजबूत कदम बढ़ेगा.