


गर्मियों में तरबूज आपको हर जगह मिल जाएंगे। ये फल हाइड्रेशन के लिए सबसे ज्यादा अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें 96% तक सिर्फ पानी ही पानी होता है। इस मौसम में रोजाना इसे खाने से डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है। मगर जिन चीजों की मार्केट में डिमांड बढ़ती है, वहीं चीजें लोगों तक नकली और मिलावटी भी पहुंचती हैं। तरबूज खाने से पहले इसके मिलावटी होने न होने का पता लगाना बहुत जरूरी है क्योंकि यह फल बाजार में सबसे ज्यादा नकली मिलता है। इसे इंजेक्शन और कलर की मदद से पकाया और मीठा किया जाता है।
नकली तरबूज खाने के नुकसान
सेहत पर असर
नकली तरबूज खाने से पेट दर्द, उल्टी, दस्त, सिरदर्द और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
ऑर्गन फेल
ज्यादा लंबे समय तक नकली और मिलावटी तरबूज खाने से लिवर और किडनी पर भी बुरा असर पड़ता है।
केमिक्लस
मिलावटी तरबूजों में इथरियल (Ethephon) या केमिकल डाईज होते हैं, जो सेहत के लिए जहर साबित हो सकते हैं। कई बार यह जहर किसी की जान भी ले सकता है।
ऐसे करें नकली तरबूज की पहचान
1. कॉटन टेस्ट
तरबूज का एक टुकड़ा काटें और उसे सूखे कपड़े या रुई पर रगड़कर देखें। अगर कपड़ा गहरे लाल रंग का हो जाता है, तो यह संकेत है कि तरबूज में हानिकारक रंग जैसे एरिथ्रोसिन (E127) या रोडामाइन-बी मिलाए गए हैं। नेचुरल रंग (लाइकोपीन) वसा में घुलनशील होता है, इसलिए वह सूखे कपड़े पर आसानी से नहीं फैलता।
2. पानी टेस्ट
तरबूज का एक टुकड़ा साफ पानी में डालें और कुछ मिनट तक देखें। अगर पानी का रंग गहरा गुलाबी या लाल हो जाता है, तो यह भी हानिकारक रंग होने का संकेत हो सकता है।
3. स्वाद और बनावट
अगर तरबूज अंदर से लाल है लेकिन स्वाद पूरा फीका है या इसमें अजीब गंध या रेशा जैसा महसूस होता है, तो यह रासायनिक तरीके से पके होने का संकेत हो सकता है। इसका साफ मतलब है कि तरबूज नकली है।
4. फील्ड स्पॉट देखें
अच्छे तरबूज में एक पीले या क्रीम रंग का धब्बा होता है यानी यह जमीन से संपर्क का हिस्सा होता है। वहीं, अगर धब्बा सफेद या हरा हो, तो तरबूज अधपका हो सकता है और इसे रासायनिक रूप से पकाया गया हो सकता है।
5. खराब होने की गति
अगर तरबूज 2-3 दिनों में ही बदबू मारने लगे या सड़ जाए, तो इसमें रासायनिक पदार्थों की मौजूदगी की आशंका हो सकती है।
6. डंठल की जांच
अगर तरबूज का डंठल सूखा और गहरे रंग का है, तो यह नेचुरल तरीके से पका है। वहीं, अगर हरा और ताजा डंठल है, तो कच्चे तरबूज को तोड़ कर उसे बाद में पकाया गया है।