


भादौ मास की कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर बुधवार सुबह भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल के दरबार में हजारों श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्त अपने इष्ट देव के दर्शन करने के लिए देर रात से ही लाइन में लगकर अपनी बारी का इंतजार करते रहे। बाबा महाकाल भक्तों को दर्शन देने के लिए सुबह 4 बजे जागे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में भाद्रपद माह कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि पर बुधवार को सुबह 4 बजे भस्म आरती संपन्न हुई। वीरभद्र जी से आज्ञा लेकर मंदिर के पट खुलते ही पंडे-पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी भगवान की प्रतिमाओं का पूजन किया। इसके बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से किया गया।
पूजन के दौरान प्रथम घंटाल बजाकर हरिओम का जल अर्पित किया गया। पुजारियों और पुरोहितों ने बाबा महाकाल का विशेष श्रृंगार कर कपूर आरती की और बाबा महाकाल को नवीन मुकुट के साथ गुलाब की माला धारण कराई। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से बाबा महाकाल को भस्म अर्पित की गई। भस्म आरती बाद बाबा महाकाल का जटाधारी स्वरूप में श्रृंगार किया गया। पूजन-अर्चन के बाद उन्हें गुलाब की माला पहनाई गई। बाबा महाकाल के दर्शन का लाभ हजारों भक्तों ने लिया। इस दौरान पूरा मंदिर परिसर "जय श्री महाकाल" की गूंज से गुंजायमान हो उठा। मान्यता है कि भस्म अर्पित करने के बाद भगवान निराकार, साकार स्वरूप में दर्शन देते हैं।