


दिल्ली यूनिवर्सिटी में अब एक नया कोर्स शुरू हो रहा है। इसका नाम है 'धर्मशास्त्र स्टडीज'। इस कोर्स में छात्रों को वर्ण व्यवस्था यानी जाति व्यवस्था के बारे में पढ़ाया जाएगा। उन्हें बताया जाएगा कि कैसे विवाह एक 'सभ्य' समाज बनाने में मदद करता है। साथ ही, यह भी सिखाया जाएगा कि नैतिकता कैसे लोगों के व्यवहार को नियंत्रित करती है।
इस कोर्स में मनुस्मृति को मुख्य किताब के तौर पर शामिल किया गया है। पहले मनुस्मृति को लॉ और इतिहास के सिलेबस में शामिल करने का प्रस्ताव आया था। लेकिन, विरोध के बाद प्रशासन ने इसे रोक दिया था। अब इसे धर्मशास्त्र स्टडीज में जरूरी कर दिया गया है। मनुस्मृति के साथ-साथ रामायण, महाभारत और पुराण जैसे हिंदू धार्मिक ग्रंथों को भी इस कोर्स में शामिल किया गया है। इन ग्रंथों पर भी पहले कई लोगों ने आपत्ति जताई थी।
यह पेपर इस साल से शुरू हो रहा है। यह एक डिसिप्लिन स्पेसिफिक कोर कोर्स है। DSC कोर्स का मतलब है कि यह कोर्स छात्रों के चुने हुए विषय से जुड़ा हुआ है और इसे करना जरूरी है। यह कोर्स 4 क्रेडिट का है। यह उन अंडरग्रेजुएट छात्रों के लिए है जिन्हें संस्कृत की जानकारी है।
DU का यह भी कहना है कि इस कोर्स को करने के बाद छात्रों को पता चलेगा कि भारतीय अराजक नहीं थे। उन्होंने एक अच्छी तरह से व्यवस्थित समाज बनाया था।उन्हें 'धर्म' का असली मतलब समझ में आएगा। छात्रों को जीवन का महान लक्ष्य पता चलेगा। वे समाज को नियमित करने के भारतीय तरीकों से परिचित होंगे।