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किस-किस ने हिस्सेदारी ली है
त्रिशूल अभ्यास में तीनों सेनाओं के कुल मिलाकर 25,000 से अधिक जवान तैनात हैं। वायुसेना के राफेल व सुखोई जैसे अग्रिम लड़ाकू विमानों के अलावा ब्रह्मोस व आकाश मिसाइल प्रणालियां - जो पहले ऑपरेशन सिंदूर में अपना प्रदर्शन दे चुकी हैं - भी शामिल हैं। इसके साथ ही युद्धक टैंकों, इन्फैंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स, लड़ाकू हेलिकॉप्टरों, लंबी दूरी मार करने वाली आर्टिलरी प्रणालियों, ड्रोन और नौसेना के युद्धपोत भी अभ्यास का हिस्सा हैं।
मल्टी-डोमेन वॉरफेयर - आधुनिक युद्ध की तैयारी
त्रिशूल का एक मुख्य उद्देश्य है मल्टी-डोमेन ऑपरेशन का अभ्यास - यानी जमीन, समुद्र और हवा के अलावा साइबर, इलेक्ट्रॉनिक स्पेस और अन्य नए क्षेत्र शामिल कर के इन सभी मोर्चों पर समन्वित कार्रवाई का परिक्षण। आधुनिक युद्ध अब केवल पारंपरिक युद्धभूमि तक सीमित नहीं रहा; अंतरिक्ष व साइबर स्पेस जैसी चुनौतियों को भी एक साथ संभालने की क्षमता विकसित करना इस अभ्यास का अहम हिस्सा है।
 
            
            
            
            
            
         
           
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
           
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
        