


राजनीति में जमीदारी प्रथा खत्म होनी चाहिए और परिवारवाद की राजनीति में कोई गुंजाइश नहीं होनी चाहिए' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल यह सख्त संदेश देते हुए भाजपा नेताओं को आगाह कर दिया था। इस पर MP भाजपा संगठन ने अमल शुरू कर दिया है। संगठन के परिवारवाद के इस फॉर्मूले को प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने सख्ती से लागू करने की शुरुआत की है। प्रदेश में जिलों की कार्यकारिणी चयन के भाजपा दौरान तीन जिलों में नेताओं के परिजनों को पद देने का मामला सामने आया। इस पर कार्रवाई कर प्रदेश संगठनने तीनों से इस्तीफे ले लिए। इनमें मंत्री, सांसद व विधायक के निकट संबंधी शामिल रहे।
ताकि कार्यकर्ताओं को मिल सके मौका
भाजपा प्रदेश संगठन द्वारा परिवारवाद के खिलाफ सख्ती इसलिए भी की गई है ताकि पार्टी के लिए जमीन तैयार करने में खून-पसीना बहाने वाले जमीनी कार्यकर्ताओं को मौका मिल सके। राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी इस पर नियंत्रण को कहा था। यदि बड़े नेता या परिवार को ही जगह दी जाती रहेगी तो आम कार्यकर्ताओं को मौका नहीं मिल सकेगा।
उड़के व कुलस्ते के परिजनों ने पद छोड़ा
मोहन सरकार में कैबिनेट मंत्री संपतिया उड़के की बेटी श्रद्धा उइके को मंडला जिले की कार्यकारिणी में मंत्री बनाया गया। बाद में यह बात सामने आने के बाद श्रद्धा उइके से सहमति बनाकर पद छुड़वाया गया। श्रद्धा ने इस्तीफे में लिखा कि में ग्राम पंचायत टिकरवाड़ा में सरपंच हूं। जिस कारण मुझे जिला मंत्री के पद से मुक्त किया जाए। इसके अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते की बहन प्रिया धुर्वे को जिला उपाध्यक्ष बनाया, लेकिन बाद में उनसे भी पद रिक्त करवाया गया।
कार्यकर्ताओं को महत्त्व देने के स्पष्ट निर्देश
प्रदेश संगठन की यह कार्रवाई परिवारवाद के खिलाफ पार्टी की स्पष्ट लाइन दिखाती है। फिलहाल तीन जिलों में ऐसे हालात सामने आए जिन पर तुरंत एक्शन भी लिया गया। इसके बाद अन्य जिले जो कार्यकारिणी घोषित करने वाले हैं उनके लिए भी गाइडलाइन स्पष्ट कर दी है। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष खखंडेलवाल ने जिलाध्यक्षों को निष्ठावान कार्यकर्ताओं को आगे लाने को कहा है।