


वरिष्ठ अर्थशास्त्री और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के उपाध्यक्ष गौतम चिकरमाने ने ट्रंप के टैरिफ की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने इस पाखंड और दबंगई करार दिया। चिकरमाने ने कहा कि ट्रंप का यह कदम "पूरी तरह अतार्किक" है। उन्होंने कहा कि अमेरिका का व्यापार घाटा चीन के साथ कहीं अधिक है, इसके बावजूद चीन पर भारत की तुलना में कम टैरिफ लगाया गया है।
भारत पर 50% टैरिफ लगाना अतार्किक
अर्थशास्त्री ने कहा कि ट्रंप ने गलत ढंग से 25 प्रतिशत कर लगाया। इसके अलावा, उन्होंने रूसी तेलआयात को लेकर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त जुर्माना लगाया। इससे हमारा कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है। हम सभी ऐसी चीज में तर्क खोजने की कोशिश कर रहे हैं जो पूरी तरह से अतार्किक है।
चीन का व्यापार घाटा भारत से छह गुना अधिक
उन्होंने आगे कहा कि ट्रंप ने टैरिफ उच्च व्यापार घाटे के कारण लगाए थे। अमेरिका के साथ चीन का व्यापार घाटा 295 अरब डॉलर है। भारत का 46 अरब डॉलर, इस प्रकार चीन भारत से लगभग छह गुना अधिक है और चीन पर टैरिफ 30 प्रतिशत है। यूरोपीय संघ का घाटा 226 अरब डॉलर है। यह भारत से पांच गुना अधिक है और वहां टैरिफ 15 प्रतिशत है।
चीन रूस से दोगुना अधिक तेल खरीदता है
रूसी तेल खरीदने पर भारत पर लगाए गए अतिरिक्त 25 प्रतिशत जुर्माने पर सवाल उठाते हुए चिकरमाने ने अमेरिका पर निशाना साधा और कहा कि चीन 2024 में भारत की तुलना से लगभग दोगुना रूसी तेल खरीदता है फिर भी उस पर कोई जुर्माना नहीं लगाया गया।
यूरोपीय संघ रूस से 22 अरब यूरो मूल्य का गैस खरीदा
चिकरमाने ने यूरोपीय संघ पर यूक्रेन के खिलाफ रूसी युद्ध को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ ने रूस से 22 अरब यूरो मूल्य की गैस खरीदी, लेकिन दंड का सामना करने के बजाय, वे भारत पर प्रतिबंध लगाने की कोशिश कर रहे हैं ।