


शुरुआती दौर की लोकप्रिय तारिकाओं सुरैया,निम्मी,मधुबाला से लेकर माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय तक बॉलीवुड में कभी अच्छी हीरोइनों की कमी नहीं रही। मगर कुछ आलोचकों के मुताबिक दीपिका पादुकोण के बाद से इसमें बड़ा ठहराव आ गया। कोई भी हीरोइन आकर बॉलीवुड में बड़ा योगदान नहीं दे पा रही है।
कई दशक का स्वर्णकाल
बॉलीवुड में हीरोइनों का स्वर्णकाल ’50 से ’90 के दशक तक माना जाता है। इस दौरान सुरैया से लेकर निम्मी,मधुबाला,नर्गिस,मीना कुमारी, वैजयंतीमाला, माला सिन्हा,पद्मिनी,वहीदा रहमान, हेमा मालिनी, रेखा,जीनत अमान,परवीन बॉबी, फिर माधुरी दीक्षित, ऐश्वर्या राय, श्रीदेवी, पूनम ढिल्लों, जूही चावला, मनीषा कोइराला, रवीना टंडन आदि तारिकाओं की वजह से बॉलीवुड में हमेशा रौनक रही है। हिंदी और दक्षिण की फिल्मों के जानकार राजगोपाल नांबियार कहते हैं,‘ धीरे-धीरे ही सही, 1990 से बॉलीवुड की रौनक गायब हो रही है। जबकि हिंदी फिल्मों में कभी हीरोइनों का अलग ही आकर्षण होता था। दर्शक इसी चार्म के चलते थियेटर के चक्कर मारते थे।’
किसको भुलाएं, किसे याद रखें
इसी चार्म का नतीजा है कि स्वर्णकाल के हर दौर में तीन-चार हीरोइनों का सम्मोहन रहा। सुरैया,निम्मी,मधुबाला आदि के साथ ही कामिनी कौशल,नर्गिस आदि तारिकाओं का भी जुदा जलवा होता था। जहां सुरैया के रूप लावण्य की बढ़-चढ़कर चर्चा होती थी। वहीं मधुबाला की खूबसूरती सभी को मोहित करती थी। नर्गिस से लेकर कामिनी कौशल तक कई हीरोइन के सौंदर्य का अलग-अलग मोहपाश था। उस दौर में इनकी हर गतिविधि में दर्शकों की रुचि होती थी। याद कीजिए सुरैया-देव की चर्चित प्रेम कहानी। इन दोनों के विवाह की प्रार्थना की जाती थी। हालांकि ताउम्र सुरैया ने विवाह नहीं किया। ऐसे किस्से हर हीरोइन की निजी जिंदगी का हिस्सा होते थे। मगर फैन इसे निजी नहीं रहने देते थे।