कनाडा ने वंश-आधारित नागरिकता कानून को आधुनिक बनाने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है। इस अधिनियम में संशोधन करने वाले विधेयक को शाही मंजूरी मिल गई है। इस कदम से का असर भारतीय मूल के हजारों परिवारों पर पड़ने की संभावना है। कनाडा सरकार द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि नागरिकता अधिनियम (2025) में संशोधन करने वाले विधेयक सी-3 को शाही स्वीकृति मिल गई है। इसमें कहा गया कि यह नागरिकता अधिनियम को और अधिक समावेशी बनाने और कनाडाई नागरिकता के मूल्य को बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
समाचार विज्ञप्ति में कहा गया है, "नए कानून के लागू होते ही, उन सभी लोगों को कनाडाई नागरिकता प्रदान की जाएगी, जो विधेयक के प्रभाव में आने से पहले पैदा हुए हैं और जो प्रथम-पीढ़ी की सीमा या पिछले कानूनों के पुराने प्रावधानों के कारण नागरिक नहीं बन पाए थे।" कनाडाई वंशानुक्रम से नागरिकता पर पहली-पीढ़ी की सीमा वर्ष 2009 में लागू की गई थी। इसका अर्थ है कि यदि कोई बच्चा कनाडा के बाहर पैदा हुआ या गोद लिया गया है, तो वह वंशानुक्रम से कनाडाई नागरिक नहीं माना जाएगा, यदि उसके कनाडाई माता-पिता भी कनाडा के बाहर ही पैदा हुए हों या गोद लिए गए हों।
इस सीमा के कारण अनेक भारतीय मूल के कनाडाई लोगों के लिए समस्या उत्पन्न हो गई, जिनके बच्चे देश से बाहर पैदा हुए थे। विज्ञप्ति में कहा गया है कि नया कानून विदेश में जन्मे या गोद लिए गए कनाडाई माता-पिता को इस विधेयक के लागू होने की तिथि या उसके बाद कनाडा के बाहर जन्मे या गोद लिए गए अपने बच्चे को नागरिकता देने की अनुमति देगा, बशर्ते कि उनका कनाडा से पर्याप्त संबंध हो।