


सीजेआई संजीव खन्ना ने नकदी बरामदगी मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त तीन-सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाने की सिफारिश केंद्र से की है।
प्रधान न्यायाधीश ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर उस समिति की रिपोर्ट साझा की है, जिसने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ नकदी बरामदगी के आरोपों की जांच की है। यह कदम महत्वपूर्ण है, जिसके तहत न्यायाधीश को इस्तीफा देने की सलाह का पालन नहीं किए जाने पर प्रधान न्यायाधीश राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को महाभियोग चलाने के लिए पत्र लिखते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक बयान में कहा, ‘सीजेआई ने आंतरिक प्रक्रिया के अनुसार राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है, जिसमें तीन-सदस्यीय समिति की तीन मई की रिपोर्ट की प्रति तथा जस्टिस यशवंत वर्मा से प्राप्त छह मई के पत्र/प्रतिक्रिया की प्रति संलग्न है।’
सुप्रीम कोर्ट की समिति ने कीआरोपों की पुष्टि
सूत्रों ने पहले बताया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने नकदी बरामदगी मामले में अपनी जांच रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की पुष्टि की है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाईकोर्ट की जस्टिस अनु शिवरमन की तीन-सदस्यीय समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रधान न्यायाधीश को सौंपी थी। ऐसा माना जा रहा है कि प्रधान न्यायाधीश ने समिति की रिपोर्ट पहले जस्टिस वर्मा को भेजी थी और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन करते हुए उनसे जवाब मांगा था। समिति ने साक्ष्यों का विश्लेषण किया और 50 से अधिक लोगों के बयान दर्ज किए, जिनमें दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा और दिल्ली अग्निशमन सेवा प्रमुख भी शामिल थे। दोनों अधिकारी 14 मार्च को रात करीब 11:35 बजे जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आवास पर आग लगने की घटना के बाद सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वालों में शामिल थे। जस्टिस वर्मा उस समय दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश थे।