केंद्र सरकार ने शुक्रवार को बताया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान) किसानों की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने में लगातार अहम भूमिका निभा रही है। फरवरी 2019 में शुरू हुई इस केंद्रीय योजना के तहत खेती योग्य भूमि वाले किसानों को हर साल ₹6,000 की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह राशि तीन समान किस्तों में सीधे किसानों के आधार-से जुड़े बैंक खातों में डीबीटी (Direct Benefit Transfer) के जरिए भेजी जाती है। योजना का लाभ केवल उन्हीं किसानों को मिलता है जिनके पास कृषि योग्य जमीन है, जबकि आर्थिक रूप से संपन्न वर्ग इसमें शामिल नहीं है।
सरकार ने बताया कि किसान-केंद्रित डिजिटल सिस्टम की वजह से योजना का लाभ सीधे किसानों तक पारदर्शी तरीके से पहुँच रहा है। योजना शुरू होने से अब तक 21 किस्तों में ₹4.09 लाख करोड़ से अधिक राशि किसानों को दी जा चुकी है। पिछले पाँच वर्षों की किस्त-वार राशि और लाभार्थियों का पूरा विवरण परिशिष्ट में उपलब्ध है।
योजना के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कई शोध किए गए। 2019 में इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (IFPRI) द्वारा किए गए एक स्वतंत्र अध्ययन में पाया गया कि किसान पीएम-किसान से मिली धनराशि का उपयोग कृषि इनपुट खरीदने, खेती में निवेश करने, कर्ज कम करने और शिक्षा, स्वास्थ्य तथा अन्य आवश्यक खर्चों में करते हैं। अध्ययन के अनुसार इस सहायता ने किसानों को जोखिम वाले लेकिन उत्पादन बढ़ाने वाले निवेश करने का हौसला दिया है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा किसान कॉल सेंटर के माध्यम से किए गए सर्वेक्षण में 92% किसानों ने योजना से संतुष्टि व्यक्त की और 93% ने बताया कि वे इस राशि का उपयोग मुख्य रूप से कृषि कार्यों में करते हैं।
नीति आयोग के डेवलपमेंट मॉनिटरिंग एंड इवैल्यूएशन ऑफिस (DMEO) के अध्ययन में भी पता चला कि 92% किसान इस सहायता को बीज, खाद और कीटनाशक पर खर्च करते हैं, जो बढ़ती लागत और मौसम के जोखिम के बीच बेहद जरूरी है। लगभग 85% किसानों ने खेती की आय बढ़ने और अनौपचारिक कर्ज पर निर्भरता घटने की बात कही। अध्ययन में यह भी उल्लेख किया गया कि पीएम-किसान गरीबी उन्मूलन, खाद्य सुरक्षा, लैंगिक समानता और पारदर्शिता जैसे सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स (SDGs) को पूरा करने में अहम योगदान दे रही है। आधार-आधारित भुगतान प्रणाली ने लेन-देन में त्रुटियाँ भी कम की हैं।