


लद्दाख के लेह में हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद आज गुरुवार को भी कर्फ्यू जारी है। फिलहाल, लेह शहर में स्थिति काबू में है। डीएम की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों को सख्ती से लागू किया जा रहा है। उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने उपद्रवियों को गंभीर कार्रवाई की चेतावनी दी और लद्दाख के लोगों के साथ एकजुटता व्यक्त की। उन्होंने लद्दाख के लोगों को शांतिप्रिय और कानून का पालन करने वाला बताया।
इसी बीच हिंसा के बाद गुरुवार को चार दिवसीय वार्षिक लद्दाख महोत्सव रद्द कर दिया गया। यह इस महोत्सव का आखिरी दिन था, जिसमें उपराज्यपाल (एलजी) कविंदर गुप्ता शामिल होने वाले थे।
कांग्रेस नेता और पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग पर धरना प्रदर्शन स्थल पर कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए मामला दर्ज किया गया है।
वहीं, गृह मंत्रालय ने बुधवार की हिंसा भड़काने के लिए सोनम वांगचुक समेत भूख हड़ताल कर रहे लोगों को जिम्मेदार ठहराया है। कल बुधवार को उग्र भीड़ ने भाजपा कार्यालय, लेह हिल काउंसिल कार्यालय और सीआरपीएफ की जिप्सी में आग लगा दी। साथ ही पथराव में कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। इसके बाद पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने गोलीबारी, आंसू गैस और लाठीचार्ज का सहारा लिया ताकि सरकारी संपत्ति और सुरक्षाकर्मियों व अन्य लोगों को और नुकसान न हो।
लेह की घटना के बाद भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस पर आरोप लगा रही है। भाजपा आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “लद्दाख में जो कुछ हो रहा है, वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। यह संकट अपने आप नहीं भड़का—इसे जानबूझकर रचा गया है। लद्दाख के लोग, खासकर युवा, संकीर्ण राजनीतिक चालों और सोनम वांगचुक की निजी महत्वाकांक्षाओं की कीमत चुका रहे हैं।
केंद्र ने कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के शीर्ष निकाय, लेह (एबीएल) द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए उच्चाधिकार प्राप्त समिति (एचपीसी) की बैठक के लिए 6 अक्टूबर की तारीख पहले ही निर्धारित कर दी थी। एबीएल द्वारा प्रस्तावित नए सदस्यों पर भी सहमति बन गई थी। वार्ता को पहले कराने के अनुरोध के बाद, 25-26 सितंबर की तारीख पर विचार किया जा रहा था। दरअसल, केंद्र लगातार बातचीत के लिए तैयार रहा है—इससे पहले, 25 जुलाई को बातचीत का प्रस्ताव दिया गया था, लेकिन कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली थी।
मालवीय ने एक्स पर लिखा कि सोनम वांगचुक ने खुद बार-बार लद्दाख में “अरब स्प्रिंग” जैसा आंदोलन चाहने का संकेत दिया है। नेपाल में विरोध प्रदर्शनों का उनका ज़िक्र अब एक सामान्य टिप्पणी से ज्यादा एक खाका लगता है। क्या इस मंच का इस्तेमाल अब सामने आ रही कुछ अनियमितताओं को छिपाने के लिए किया गया था?
उन्होंने आगे कहा कि युवाओं को दोष नहीं दिया जा सकता—उन्हें गुमराह किया गया, दूसरों द्वारा लिखी गई एक खतरनाक पटकथा में धकेला गया। केंद्र लद्दाख के लोगों के कल्याण, सशक्तिकरण और भविष्य के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है और अपने युवाओं के साथ मजबूती से खड़ा है।
लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) के यूथ विंग का उपवास केंद्र सरकार से 6 अक्टूबर को प्रस्तावित बैठक के बजाय जल्दी वार्ता शुरू करने की मांग को लेकर था। राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची का विस्तार, लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीटें और रोजगार में आरक्षण, यह उनकी मांगें थीं। दरअसल, लेह का एलएबी और कारगिल का केडीए पिछले 4 साल से अपनी मांगों के समर्थन में संयुक्त रूप से आंदोलन कर रहे हैं और गृह मंत्रालय के साथ कई दौर की वार्ता कर चुके हैं। हालांकि, मंगलवार शाम से ही तनाव बढ़ रहा था।