


मध्य प्रदेश विधानसभा में श्रम संशोधन विधेयक को लेकर तीखा विवाद देखने को मिला। विधानसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया। पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता बाला बच्चन ने विधेयक को मजदूर विरोधी बताते हुए कहा कि यह संशोधन ठीक नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक मजदूरों के हितों के खिलाफ है और इससे लाखों श्रमिकों को नुकसान होगा।
नया संशोधन मजदूरों की आवाज को दबाने वाला
बच्चन ने कहा, “हुकुम मिल के श्रमिकों को 20 साल बाद पैसा मिल पाया है। इस संशोधन के पीछे सरकार का हिडन एजेंडा है, जिसे साफ करना चाहिए। पहले का विधेयक ठीक था, लेकिन यह नया संशोधन मजदूरों की आवाज को दबाने वाला है। वहीं, श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल ने विधेयक का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए सालों तक काम किया है। उन्होंने बताया, “पहले ठेकेदार मजदूरों को दिल्ली से ले जाते थे और उनके पीएफ का पैसा दिल्ली में जमा होता था, लेकिन मजदूरों को इसकी जानकारी तक नहीं थी। यह संशोधन मजदूरों के हित में शुरुआत है।”
कांग्रेस का विधानसभा से वॉकआउट
पटेल ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस विधायकों ने संशोधन को पढ़ा ही नहीं और बिना समझे विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, इस देश में आजादी से पहले 38 श्रम कानून थे। हम केवल मौजूदा कानूनों का अनुमोदन कर रहे हैं। अटल बिहारी वाजपेयी और नरेंद्र मोदी ने असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए बहुत काम किया है। चर्चा के दौरान माहौल गर्म होने पर कांग्रेस ने विधानसभा से वॉकआउट कर दिया। विपक्ष की ओर से पेश किया गया मजदूर संशोधन प्रस्ताव ध्वनि मत के जरिए निरस्त कर दिया गया। इसके बाद श्रम संशोधन विधेयक को ध्वनि मत से ही विधानसभा में पारित कर दिया गया।