प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राकृतिक खेती पर अपने विचार साझा करते हुए इसे पूरे देश में व्यापक रूप से अपनाने की अपील की है। उन्होंने अपने लिंक्डइन लेख “इंडिया एंड नेचुरल फार्मिंग द वे अहेड! में लिखा कि 19 नवंबर को तमिलनाडु के कोयंबटूर में आयोजित ‘साउथ इंडिया नेचुरल फार्मिंग समिट 2025’ ने उन पर “गहरी छाप” छोड़ी। प्रधानमंत्री ने कहा कि तमिलनाडु के वे किसान, जिन्होंने प्राकृतिक खेती अपनाई है, यह दिखाते हैं कि भारत की कृषि व्यवस्था में सोच, कल्पना और आत्मविश्वास के स्तर पर बड़ा बदलाव आ रहा है। प्रधानमंत्री ने बताया कि प्राकृतिक खेती भारत के पारंपरिक कृषि ज्ञान और आधुनिक पर्यावरणीय सिद्धांतों का समन्वय है, जिसमें रासायनिक खादों के बजाय मिट्टी की सेहत, जैव विविधता, मुल्चिंग और अवशेषों के पुनर्चक्रण को महत्व दिया जाता है।
प्रधानमंत्री ने समिट में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने कई प्रेरणादायक किसानों और कृषि-नवप्रवर्तकों से बातचीत की। इनमें ऐसे किसान शामिल थे जो मल्टी-लेयर खेती कर रहे हैं, देसी धान की किस्मों को संरक्षित कर रहे हैं, किसान उत्पादक संगठन (FPOs) चला रहे हैं, और समुद्री शैवाल (seaweed) से जैव उर्वरक तथा बायोचार जैसे नवाचार तैयार कर रहे हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि इनमें कई लोग प्रथम-पीढ़ी के स्नातक थे या वे पेशेवर थे जिन्होंने कॉर्पोरेट करियर छोड़कर कृषि को अपनाया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अलग-अलग पृष्ठभूमि से आने के बावजूद इन सभी किसानों में स्थिरता, मिट्टी की सेहत और सामुदायिक हित के प्रति गहरी प्रतिबद्धता देखी गई।
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि पिछले वर्ष शुरू किए गए National Mission on Natural Farming (NMNF) से अब तक लाखों किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाएँ-जैसे किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का विस्तार, PM-Kisan से आर्थिक सहायता और कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा ने प्राकृतिक खेती को अपनाने में बड़ी भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि प्राकृतिक खेती रासायनिक खादों पर निर्भरता, मिट्टी की घटती उर्वरता और बढ़ती लागत जैसी कृषि चुनौतियों का समाधान प्रदान करती है। उन्होंने पंचगव्य, जीवामृत, बीजामृत और मुल्चिंग जैसी तकनीकों का उल्लेख किया, जो मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने और उत्पादन लागत घटाने में महत्वपूर्ण हैं।
पीएम मोदी ने किसानों को सलाह दी कि वे “एक एकड़, एक सीजन” मॉडल से शुरुआत करें ताकि धीरे-धीरे natural farming के प्रति उनका विश्वास बढ़े। उन्होंने युवाओं से भी अपील की कि वे FPOs से जुड़ें, स्टार्ट-अप शुरू करें, या किसी भी तरह प्राकृतिक खेती से संबंधित नवाचारों में योगदान दें। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोयंबटूर समिट में किसानों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के सहयोग ने यह विश्वास मजबूत किया है कि भारत में टिकाऊ और भविष्य-उन्मुख कृषि का मार्ग प्राकृतिक खेती ही है।