


शरद पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। दरअसल, समुद्र मंथन के दौरान अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि के दिन मां लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था। माता लक्ष्मी इस दिन भगवान विष्णु के साथ धरती पर भ्रमण करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आराधना करता है उसकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं। इस दिन चंद्रमा भी अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होता है। इस दिन चंद्रमा से अमृत की बरसात होती है। चांद की रोशनी में खीर रखने का भी विशेष महत्व माना गया है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में खीर रखने का शुभ मुहूर्त और महत्व।
शरद पूर्णिमा 2025 : खीर रखने का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर होगा और 7 अक्टूबर को सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने के लिए शाम में पूजा के बाद आप चंद्रमा की रोशनी में खीर रख सकते हैं। बता दें कि शास्त्रों के अनुसार, भद्राकाल का चंद्रमा में खीर रखने से कोई संबंध नहीं है। दरअसल, भद्रा में बंधन नहीं देना चाहिए। इसलिए गृह निर्माण, शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, रक्षाबंधन आदि मनाना अशुभ माना जाता है। बाकी आप बेफिक्र होकर शरद पूर्णिमा की रात खीर चंद्रोदय होने के बाद कभी भी रख सकते हैं। पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा के चंद्र दर्शन शाम में 6 बजकर 2 मिनट से आरंभ हो जाएंगे। इसके बाद आप पूजा पाठ करके कभी भी खीर चंद्रमा की रोशनी में रख सकते हैं। आज रात में 9 बजे से बाद से ही चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण हो जाएंगे।