


गर्मियों के मौसम में मिट्टी के मटके का पानी बेहद शीतल और स्वास्थ्यवर्धक माना जाता है। यह न केवल शरीर की गर्मी को शांत करता है, बल्कि पाचन को भी बेहतर बनाता है। पुराने समय से लेकर आज तक भारतीय घरों में मटके का प्रयोग जल शुद्ध रखने और शरीर को ठंडक देने के लिए किया जाता रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र में भी मटका रखने को लेकर कुछ विशेष दिशा-निर्देश दिए गए हैं? वास्तु के अनुसार मटका यदि सही दिशा में रखा जाए, तो यह केवल जल शुद्धता का माध्यम नहीं रहता, बल्कि घर में सुख, शांति और समृद्धि को भी बढ़ाता है।
मटका रखने की सही दिशा
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में जल से जुड़ी चीजों को रखने की सबसे शुभ दिशा उत्तर-पूर्व दिशा (ईशान कोण) मानी जाती है। यह दिशा जल तत्व से जुड़ी होती है और यहां पर मटका रखने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इसके अलावा यह दिशा देवताओं की दिशा भी मानी जाती है, इसलिए यहां रखे गए जल का ऊर्जा स्तर अत्यधिक शुभ होता है। यदि किसी कारणवश उत्तर-पूर्व दिशा में मटका रखना संभव न हो, तो उत्तर या पूर्व दिशा भी उपयुक्त मानी जाती हैं। इन दिशाओं में जल तत्व के प्रभाव को बढ़ावा मिलता है और घर का वातावरण शुद्ध, शांत व सौम्य बना रहता है।
मटका रखने की अनुचित दिशाएं
दक्षिण दिशा या दक्षिण-पश्चिम दिशा में मटका रखना वास्तु दोष उत्पन्न कर सकता है। ये दिशाएं अग्नि और पृथ्वी तत्व से संबंधित होती हैं और जल तत्व से इनका स्वाभाविक विरोध होता है। शौचालय, बाथरूम या सीढ़ियों के नीचे मटका रखना वर्जित माना गया है, क्योंकि इससे जल की पवित्रता नष्ट होती है और घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है।