


विनायक चतुर्थी एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित है। यह दिन अमावस्या के बाद चौथे दिन पड़ता है और प्रत्येक माह में दो चतुर्थी आती हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से उनकी कृपा सदैव के लिए प्राप्त की जा सकती है। यह व्रत करने वाले भक्तों को भगवान गणेश की दिव्य ऊर्जा से जुड़ने का मौका मिलता है और उनके सभी कष्टों का अंत होता है। पंचांग के अनुसार, मासिक चतुर्थी हर महीने शुक्ल पक्ष के दौरान मनाई जाती है। इस बार यह 3 मार्च 2025 को मनाई जा रही है। इस पवित्र दिन पर भगवान गणेश की पूजा करने से उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है।
विनायक चतुर्थी पर शुभ मुहूर्त
- रवि योग: सुबह 04 बजकर 29 मिनट से 06 बजकर 43 मिनट तक (4 मार्च)
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 16 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 06 बजकर 20 मिनट से 06 बजकर 45 मिनट तक
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
- स्नान और वस्त्र: पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें और पीले या लाल रंग के वस्त्र धारण करें।
- गणेश जी की स्थापना: एक चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें।
- अभिषेक और तिलक: पंचामृत से गणेश जी का अभिषेक करें और सिंदूर, कुमकुम का तिलक लगाएं।
- फूलों की माला: गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें।
- भोग: मोदक या फिर घर पर बनी किसी भी मिठाई का भोग लगाएं।
- दीपक: देसी घी का दीपक जलाएं।
- मंत्रों का उच्चारण: गणेश जी के वैदिक मंत्रों का उच्चारण करें।
- व्रत कथा का पाठ: चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करें।
- आरती: अंत में आरती करें।
- चंद्रमा को अर्घ्य: शाम को चंद्रमा को अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें।
- प्रसाद का वितरण: भक्त भगवान को चढ़ाए गए प्रसाद से अगले दिन व्रत का पारण करें।
- गणेश जी प्रिय भोग: मोतीचूर के लड्डू, मोदक, पूरन पोली, ताजे फल, पान-सुपारी, और करंजी का भोग आदि।
महत्वपूर्ण बातें
- गणेश जी की पूजा में तुलसी पत्र भूलकर भी शामिल न करें।
- पूजा में साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखें।