रेप पर फांसी तो करप्शन पर उम्र कैद क्यो नही …?
Img Banner
profile
Administrator
Created AT: 13 सितंबर 2022
5461
0
...

एमपी में 'मिशन करप्शन'- पैकअप के लिए कठोर कानून जरूरी …
ना काहू से बैर/राघवेंद्र सिंह भोपाल

एमपी में बाबू से लेकर जबलपुर के बिशप तक मिशन करप्शन में सिर से पैर तक लिपटे नजर आ रहे हैं। ऐसे में सरकार भी एक्शन के मोड पर दिख रही है। रेप पर फांसी तो करप्शन पर उम्र कैद का कानून क्यों नही? अफसरों की जिम्मेदारी तय किए बिना करप्शन का पैकअप होना मुश्किल लगता है। केवल निलंबन से काम नही चलेगा। विधानसभा में ऐसा कानून बनाया जाए कि करप्शन जिस महकमे में हो उसके अधिकारी- कर्मचारी पर केस दर्ज कर सेवाएं समाप्त की जाए। भ्रष्टाचार भी देश के साथ द्रोह है। अस्पतालों में आग से मरीज जल कर मर रहे हैं, अवैध कालोनियां बन रही है, बाबूओं से लेकर बिशप तक करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार कर रहे हैं लेकिन उनका बाल बांका भी नहीं होगा ऐसा आम जन के बीच कहां - सुना जा रहा है। काफी हद तक यह सच भी है इसलिए ऐसा कानून भी बनाया जाए कि करप्शन करने वालों का पैकअप हो जाए।

हाल ही में नगर निगमों में चुनाव हुए और सरकार ने तय किया है कि ऐसे मकानों का 15 दिनों में सर्वे करे रिपोर्ट सौंपी जाए जो नक्शे के विरुद्ध बनाए गए हैं। बात अच्छी है लेकिन इससे पैसे खाने के नए रास्ते खुल जाएंगे। क्योंकि अवैध निर्माण कराने का अपराध जिस सरकारी सिस्टम ने किया था अब वही सर्वे के बाद कार्रवाई का जिम्मा भी उठाएगा। सर्वे तो इस बात का हो कि अवैध निर्माण कौन से कर्मचारी और अधिकारियों के रहते हुए अब उन इतनी कठोरता से एक्शन हो भविष्य में नक्शा विरुद्ध मकान- मार्केट और अवैध कालोनियां न बन सके।

जाहिर है सर्वे के कंपाउंडिंग करने के साथ बुलडोजर से तोड़ने का विकल्प खुला रहेगा। बस यही पर थोड़ा ठिठक कर सोचने की जरूरत है । आखिर जब स्वीकृत नक्शे के विपरीत मकान- दुकानें बन रहे थे तब नगर निगम का अमला क्या सो रहा था ? असली गुनहगार तो नगर निगम का अमला ही है। लेकिन वह साफ बच जाता है और मकान पर बुलडोजर की सजा और जुर्माना भुगतता है आम आदमी।

सरकार ने सर्वे के आदेश निकाल दिए हैं अब इससे अतिक्रमण और अवैध निर्माण कराने वाले अमले की पौं बारह समझिए, पांचों उंगलियां घी में और सिर कढाई में। पहले करोड़ों का अवैध निर्माण कराने में माल सूता और अब उसे तोड़ने के नाम पर फिर भयादोहन का दौर चलेगा। चुनावी साल है सो बुलडोजर और तबादले के नाम पर बल्ले बल्ले समझो। सरकार की मंशा तो ठीक है पर दर्द के साथ दवा देने वाले अफसरों पर कठोर कानून की नकेल जरूरी है। जैसे बलात्कार के आरोपियों पर फास्ट ट्रैक कोर्ट में केस की सुनवाई कर एक एक महीने में फंसी तक की सजा मामा शिवराज के राज होने के भी उदाहरण बने है।

जबलपुर में बिशप सीपी सिंह के घर ईओडब्ल्यू के छापे में 165 करोड़ रुपए नकद मिले। अंडरवर्ल्ड से भी बिशप के तार जुड़ने के सूत्र मिल रहे हैं। खाद को लेकर भी 130 मीट्रिक टन सरकारी यूरिया निजी गोदामों में मिला और जब यह बात जनता के बीच आई तो उसे बरामद भी किया गया। इसी तरह राशन कार्ड का सस्ता अनाज भी अरबों रुपए के घोटाले की खबरों का जरिया बन रहा है। खाद्य निरीक्षक से लेकर जिला खाद्य अधिकारी भी भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे हुए हैं घटिया खाद्य सामग्री वितरण से लेकर कम तोलने और महीना हफ्ता वसूली की बातें आम आदमी को भी पता है। मुख्यमंत्री भी इस पर नाराजगी जता चुके हैं। त्योहारों का सीजन शुरू हो गया है खाद्य सामग्री में मिलावट और कम तोलने को लेकर प्रदेश व्यापी छापामार अभियान की जरूरत है।

कलेक्टर कार्यालय,नगर निगमों से लेकर आम ओ खास से जुड़े महकमें रिश्वत के अड्डे बनते जा रहे है। अच्छी बात यह है कि मुख्यमंत्री मामा शिवराज सिंह चौहान भ्रष्टाचार की की ताजा खबरों को लेकर संवेदनशील है उन्होंने खुद कमान हाथ में लेते हुए बिशप से लेकर बाबू अब तक गहराई से जांच और कठोर कार्रवाई करने का फैसला किया है लेकिन बलात्कारियों की तरह फांसी का भले ही कानून ना हो लेकिन भ्रष्टाचारियों का आजन्म कारावास और नौकरी से बर्खास्तगी जैसे कानून के बगैर इसे काबू में करना कठिन लगता है।

ये भी पढ़े- आज से एमपी में विधानसभा का मानसून सत्र शुरू

मैहर में लगे नारे
भाजपा शासन में शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि मुख्यमंत्री काफिले के बीच में नेतृत्व परिवर्तन के नारे लगे। सबसे खास बात हुई है कि नारे लगे तो देश का नेता कैसा हो नरोत्तम मिश्रा जैसा हो, से जुड़ा है अब इस बात की जांच पड़ताल हो रही है कि यह नारेबाजी गृहमंत्री मिश्रा को बदनाम करने की साजिश तो नहीं थी। कुल मिलाकर लोकल इंटेलिजेंस का फेलियर भी इसमें देखा जा रहा है। इसके पहले भी एक केंद्रीय मंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय पदाधिकारी के बीच जुगलबंदी को लेकर भी भाजपा के भीतर चर्चाएं गर्म हैं। आमतौर पर भाजपा के संस्कार और शिक्षा में इस तरह की सियासत को स्वीकार नहीं किया जाता है लेकिन अगर यह आम होती रही तो भविष्य में इन पर कोई गंभीरता से शायद बातें भी ना करें।

ये भी पढ़ें
कुपोषण के खिलाफ जंग में पशुपालन विभाग निभा रहा बड़ी भूमिका
...

IND Editorial

See all →
Sanjay Purohit
हिमालय की गोद में जागी विदेशी योगिनियों की दिव्य चेतना
मनुष्य के सुख का चरम तब मोहभंग करता है जब वो दर्द देने लगता है। भोग-विलास की संस्कृति एक सीमा तक तो सुख देती है लेकिन कालांतर जीवन की विसंगतियां व्यक्ति में शून्य भरने लगती हैं। यही वजह है कि धनी व विकसित देशों की सैकड़ों योग साधिकाएं योग व आध्यात्मिक साधना से सुकून की तलाश में भारत चली आती हैं।
48 views • 2025-12-07
Sanjay Purohit
बगराम एयरबेस: शक्ति-संतुलन की धुरी और भारत की रणनीतिक सजगता
अफगानिस्तान की पर्वत-शृंखलाओं के बीच बसा बगराम एयरबेस आज केवल एक सैन्य ठिकाना नहीं, बल्कि बदलती वैश्विक राजनीति का प्रतीक बन चुका है। कभी अमेरिकी फाइटर जेट्स की गर्जना से गूंजने वाला यह अड्डा अब शक्ति-संतुलन, कूटनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव के अदृश्य खेल का केंद्र है।
268 views • 2025-10-30
Sanjay Purohit
बाहर-भीतर उजाले के साथ फैलाए सर्वत्र खुशहाली
अंधकार पर प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, दुष्चरित्रता पर सच्चरित्रता की और निराशा पर आशा की जीत का पर्व दीपावली भारतीय संस्कृति व सामाजिक दर्शन का मूल भाव दर्शाता है। पारंपरिक रूप से इस मौके पर लक्ष्मी पूजन के साथ खुशहाली की कामना समाज के हर वर्ग के लिए है जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है। दूसरे पर्वों की तरह यह पर्व भी प्रकृति व सामाजिक परिवेश के प्रति दायित्व निभाने का संदेश लिये है। मसलन हम पारंपरिक उद्यमों से निर्मित सामान खरीदकर उन्हें संबल दें।
115 views • 2025-10-19
Sanjay Purohit
फिल्मी दिवाली में प्रतीकों के जरिये बहुत कुछ कहने की परंपरा
फिल्मों में हर त्योहार का अपना अलग प्रसंग और संदर्भ है। होली जहां मस्ती के मूड, विलेन की साजिश के असफल होने और नायक-नायिका के मिलन का प्रतीक बनता है। जबकि, दिवाली का फ़िल्मी कथानकों में अलग ही महत्व देखा गया। जब फ़िल्में रंगीन नहीं थी, तब भी दिवाली के दृश्य फिल्माए गये। पर, वास्तव में दिवाली को प्रतीकात्मक रूप ज्यादा दिया गया। अधिकांश पारिवारिक फिल्मों में दिवाली मनाई गई, पर सिर्फ लक्ष्मी पूजन, रोशनी और पटाखों तक सीमित नहीं रही। दिवाली की रात फिल्मों के कथानक में कई ऐसे मोड़ आए जिनका अपना अलग भावनात्मक महत्व रहा है।
295 views • 2025-10-18
Sanjay Purohit
धनतेरस: दीपावली के प्रकाश पर्व की आध्यात्मिक शुरुआत
दीपावली, जिसे अंधकार पर प्रकाश की विजय का उत्सव कहा गया है, उसकी वास्तविक शुरुआत धनतेरस से होती है। यह केवल उत्सव का पहला दिन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक आलोक का उद्घाटन भी है। धनतेरस, या धनत्रयोदशी, कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है — वह क्षण जब जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और आध्यात्मिक संतुलन का प्रथम दीप प्रज्वलित होता है।
241 views • 2025-10-17
Sanjay Purohit
गांधी जयंती विशेष: आज की दुनिया में गांधीवादी मूल्यों की प्रासंगिकता
आज जब पूरी दुनिया हिंसा, युद्ध, जलवायु संकट, आर्थिक असमानता और मानवीय संवेदनाओं के क्षरण से जूझ रही है, ऐसे समय में महात्मा गांधी के सिद्धांत पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक दिखाई देते हैं। गांधीजी का जीवन कोई बीता हुआ अध्याय नहीं, बल्कि एक ऐसा प्रकाशस्तंभ है, जो आज के अंधकारमय परिदृश्य में मार्गदर्शन करता है।
253 views • 2025-10-02
Sanjay Purohit
दुर्गा तत्व—भारतीय दर्शन और अध्यात्म का सार
भारतीय दर्शन का मूल भाव केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है। इसी यात्रा में दुर्गा तत्व एक केंद्रीय स्थान रखता है। दुर्गा केवल देवी का नाम नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वह ऊर्जा है जो प्रत्येक जीव में अंतर्निहित है।
416 views • 2025-09-24
Sanjay Purohit
शक्ति का दर्शन : सनातन परंपरा में शाक्त मार्ग और नवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश
सनातन परंपरा के विशाल आध्यात्मिक आकाश में शक्ति की साधना एक अद्वितीय और प्राचीन प्रवाह है। शाक्त दर्शन केवल किसी देवी की पूजा का भाव नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त ऊर्जा, चेतना और जीवन के रहस्यों को समझने का मार्ग है।
238 views • 2025-09-21
Sanjay Purohit
हिन्दी : शिवस्वरूपा और महाकाल
हिन्दी दिवस के एक दिन पूर्व यह लेख लिखते हुए मन में अपार गर्व और आत्मगौरव का अनुभव हो रहा है। निसंदेह हिन्दी दुनिया की श्रेष्ठतम भाषाओं में एक है। हर भाषा का अपना आकर्षण है, लेकिन हिन्दी अनेक मायनों में अद्वितीय और अनुपम है। इसमें सागर जैसी गहराई है, अंबर जैसा विस्तार है और ज्योत्स्ना जैसी शीतलता है।
338 views • 2025-09-13
Sanjay Purohit
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : शिक्षा, दर्शन और राष्ट्रनायक का अद्भुत संगम
भारत भूमि ने समय-समय पर ऐसे महामानवों को जन्म दिया है जिनका जीवन केवल उनके युग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक बनता है। ऐसे ही एक महान विभूति थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन—दार्शनिक, शिक्षक, चिंतक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति। उनके व्यक्तित्व में ज्ञान, अध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
396 views • 2025-09-05
...