दुर्गा तत्व—भारतीय दर्शन और अध्यात्म का सार
भारतीय दर्शन का मूल भाव केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है। इसी यात्रा में दुर्गा तत्व एक केंद्रीय स्थान रखता है। दुर्गा केवल देवी का नाम नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वह ऊर्जा है जो प्रत्येक जीव में अंतर्निहित है।
Img Banner
profile
Sanjay Purohit
Created AT: 24 सितंबर 2025
170
0
...

भारतीय दर्शन का मूल भाव केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है। इसी यात्रा में दुर्गा तत्व एक केंद्रीय स्थान रखता है। दुर्गा केवल देवी का नाम नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वह ऊर्जा है जो प्रत्येक जीव में अंतर्निहित है। नवरात्रि के नौ दिन इसी शक्ति को जगाने और आत्म-शुद्धि के माध्यम माने गए हैं।

भारतीय अध्यात्म में दुर्गा उस ऊर्जा का प्रतीक हैं जो अज्ञान, भय और नकारात्मकता से रक्षा करती है। "दुर्ग" का अर्थ है कठिनाई, और "दुर्गा" वह शक्ति जो कठिनाइयों को पार करने का सामर्थ्य देती है। उपनिषदों और पुराणों में यह शक्ति माया नहीं, बल्कि मूल चेतना कही गई है—वह चेतना जिसके बिना न तो सृष्टि की उत्पत्ति संभव है और न ही उसका पोषण।

नवरात्रि के संदर्भ में दुर्गा तत्व आत्म-युद्ध की ओर संकेत करता है। राक्षस महिषासुर कोई बाहरी शक्ति मात्र नहीं, बल्कि हमारे भीतर की काम, क्रोध, लोभ और अहंकार की प्रवृत्तियाँ हैं। जब साधक जप, ध्यान और साधना करता है, तो वह इन नकारात्मक प्रवृत्तियों पर विजय प्राप्त करता है। यही विजय महिषासुर मर्दिनी की कथा के रूप में भारतीय समाज को सिखाई जाती है।

आम जीवन में भी दुर्गा तत्व का महत्व उतना ही गहरा है। हर व्यक्ति अपने जीवन में चुनौतियों का सामना करता है—कभी पारिवारिक, कभी सामाजिक, कभी आंतरिक। ऐसे समय में दुर्गा तत्व की उपासना मनोबल देती है, दिशा देती है और यह स्मरण कराती है कि शक्ति बाहर नहीं, भीतर ही स्थित है। नवरात्रि का व्रत, उपवास और साधना इसी आंतरिक शक्ति को जगाने का साधन हैं।

इस प्रकार, दुर्गा तत्व केवल एक धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि भारतीय दर्शन का जीवंत संदेश है। यह हमें सिखाता है कि जब मनुष्य अपने भीतर की शक्ति को पहचानता है, तो वह हर कठिनाई पर विजय पा सकता है। नवरात्रि इसी दिव्य आत्म-यात्रा का पर्व है—जहाँ साधारण मानव भी असाधारण बन सकता है।

ये भी पढ़ें
सीएम की घोषणा,कटंगी और पौड़ी बनेगी तहसील,लाड़ली बहना योजना सम्मेलन में शामिल हुए सीएम
...

Spiritual

See all →
Sanjay Purohit
महाअष्टमी पर अपनाए ये उपाय, माँ दुर्गा करेंगी हर संकट का नाश
नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है जो साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र और शारदीय नवरात्रि। इसमें मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का आठवां दिन महाअष्टमी व नौवां दिन नवमी कहलाता है, जिसे अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।
16 views • 8 hours ago
Richa Gupta
शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन आज, जानें मां कालरात्रि की पूजा विधि
आज शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि का सातवां दिन कालरात्रि माता को समर्पित माना जाता है। नवरात्रि की सप्तमी तिथि का विशेष माना जाता है और इसे महासप्तमी भी कहते हैं।
93 views • 16 hours ago
Sanjay Purohit
नवरात्रि के सातवें दिन करें मां कालरात्रि की पूजा
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की विधि-विधान से पूजा करने का विशेष महत्व होता है। ऐसा करने से सभी बुरी शक्तियों और अकाल मृत्यु से साधक का बचाव हो सकता है। साथ ही, जातक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
56 views • 2025-09-28
Sanjay Purohit
हिंगलाज शक्तिपीठ – नवरात्रि पर शक्ति साधना का पवित्र प्रतीक
नवरात्रि का पर्व केवल उत्सव नहीं, बल्कि आत्मबल और देवी शक्ति के जागरण का अवसर है। जब पूरे देश में दुर्गा पूजा की धूम रहती है, तब श्रद्धालु हिंगलाज शक्तिपीठ का स्मरण भी करते हैं। पाकिस्तान के बलूचिस्तान में स्थित यह शक्तिपीठ 51 महाशक्तिपीठों में से एक है, जहाँ माता सती का ब्रह्मरंध्र (सिर का भाग) गिरा था।
28 views • 2025-09-28
Sanjay Purohit
नलखेड़ा : तंत्र साधना और अनुष्ठानों का केंद्र है मां बगलामुखी धाम, पांडवों को यहीं मिला था जीत का मंत्र
महाभारत कालीन इस शक्तिपीठ में पांडवों ने भगवान कृष्ण के कहने पर मां बगलामुखी की आराधना की थी। यहां तांत्रिक साधना, शत्रु नाश, चुनावी विजय और कोर्ट केस के निपटारे हेतु विशेष यज्ञ और अनुष्ठान होते हैं।
165 views • 2025-09-27
Richa Gupta
नवरात्रि छठा दिन: जानें मां स्कंदमाता की पूजा विधि और स्वरुप
शारदीय नवरात्रि 2025 में छठा दिन मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप मां स्कंदमाता को समर्पित है। मां स्कंदमाता भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं।
108 views • 2025-09-27
Richa Gupta
नवरात्रि के चौथे दिन होती है मां कूष्मांडा की पूजा, जानें महत्व
शारदीय नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप की उपासना के लिए समर्पित होता है। चौथे दिन मां दुर्गा के कूष्मांडा स्वरूप की पूजा की जाती है।
150 views • 2025-09-25
Sanjay Purohit
दुर्गा तत्व—भारतीय दर्शन और अध्यात्म का सार
भारतीय दर्शन का मूल भाव केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है। इसी यात्रा में दुर्गा तत्व एक केंद्रीय स्थान रखता है। दुर्गा केवल देवी का नाम नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वह ऊर्जा है जो प्रत्येक जीव में अंतर्निहित है।
170 views • 2025-09-24
Richa Gupta
आज नवरात्रि के तीसरे दिन इस विधि से करें देवी चंद्रघंटा की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त
मां दुर्गा के हर रूप की अपनी कहानी और पूजा करने का महत्व है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन 22 सितंबर 2025 को जहां मां दुर्गा के पहले स्वरूप देवी शैलपुत्री और दूसरे दिन 23 सितंबर को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की गई, वहीं अब 24 सितंबर 2025 को तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी।
169 views • 2025-09-24
Sanjay Purohit
नवरात्रि में बरतें ये सावधानी, गलतिया कर सकती हैं माता रानी को नाराज
नवरात्रि हिन्दू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसमें नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इस दौरान लोग नौ दिन उपवास रखते हैं और भक्ति में लीन रहते हैं। नवरात्रि व्रत के दौरान लोग सात्विक आहार का सेवन करते हैं और तामसिक भोजन से दूर रहते हैं लेकिन इस दौरान कुछ कामों को करने की भी मनाही होती है।
44 views • 2025-09-23
...

IND Editorial

See all →
Sanjay Purohit
दुर्गा तत्व—भारतीय दर्शन और अध्यात्म का सार
भारतीय दर्शन का मूल भाव केवल बाहरी पूजा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और परमात्मा के मिलन की यात्रा है। इसी यात्रा में दुर्गा तत्व एक केंद्रीय स्थान रखता है। दुर्गा केवल देवी का नाम नहीं, बल्कि शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वह ऊर्जा है जो प्रत्येक जीव में अंतर्निहित है।
170 views • 2025-09-24
Sanjay Purohit
शक्ति का दर्शन : सनातन परंपरा में शाक्त मार्ग और नवरात्रि का आध्यात्मिक संदेश
सनातन परंपरा के विशाल आध्यात्मिक आकाश में शक्ति की साधना एक अद्वितीय और प्राचीन प्रवाह है। शाक्त दर्शन केवल किसी देवी की पूजा का भाव नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त ऊर्जा, चेतना और जीवन के रहस्यों को समझने का मार्ग है।
46 views • 2025-09-21
Sanjay Purohit
हिन्दी : शिवस्वरूपा और महाकाल
हिन्दी दिवस के एक दिन पूर्व यह लेख लिखते हुए मन में अपार गर्व और आत्मगौरव का अनुभव हो रहा है। निसंदेह हिन्दी दुनिया की श्रेष्ठतम भाषाओं में एक है। हर भाषा का अपना आकर्षण है, लेकिन हिन्दी अनेक मायनों में अद्वितीय और अनुपम है। इसमें सागर जैसी गहराई है, अंबर जैसा विस्तार है और ज्योत्स्ना जैसी शीतलता है।
121 views • 2025-09-13
Sanjay Purohit
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन : शिक्षा, दर्शन और राष्ट्रनायक का अद्भुत संगम
भारत भूमि ने समय-समय पर ऐसे महामानवों को जन्म दिया है जिनका जीवन केवल उनके युग तक सीमित नहीं रहता, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी मार्गदर्शक बनता है। ऐसे ही एक महान विभूति थे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन—दार्शनिक, शिक्षक, चिंतक और भारत के दूसरे राष्ट्रपति। उनके व्यक्तित्व में ज्ञान, अध्यात्म और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
143 views • 2025-09-05
Sanjay Purohit
संतति, संस्कृति और पितृपक्ष : सनातन परंपरा का जीवंत संवाद
सनातन संस्कृति की गहराई को समझना हो तो पितृपक्ष उसका सबसे जीवंत आयाम है। यह केवल 16 दिन का कर्मकांड नहीं है, बल्कि संतति और पूर्वजों के बीच संवाद का अवसर है। जीवन, मृत्यु और पुनर्जन्म के दार्शनिक रहस्य को यह पर्व अपने भीतर समेटे हुए है।
182 views • 2025-09-02
Sanjay Purohit
गणेश: कालजयी सनातन संस्कृति के संवाहक
भारत की सनातन संस्कृति में यदि किसी देवता को सहजता, अपनापन और निकटता का प्रतीक माना जाए तो वह विघ्नहर्ता श्री गणेश हैं। हर शुभ कार्य से पहले उनका स्मरण केवल धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि जीवन दर्शन का संदेश है—“आरंभ शुभ हो, पथ सरल हो और बुद्धि निर्मल हो।” यही कारण है कि गणेश केवल पूजनीय देवता ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के ऐसे संवाहक हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी जीवन को दिशा देते आए हैं।
160 views • 2025-08-19
Sanjay Purohit
कृष्ण: सनातन धर्म के कालजयी नायक
मानव सभ्यता के विस्तृत इतिहास में यदि कोई ऐसा चरित्र है जिसने धर्म, दर्शन, प्रेम, राजनीति और अध्यात्म—सभी को एक साथ समेट लिया, तो वह हैं योगेश्वर श्रीकृष्ण। वे केवल एक पौराणिक कथा के पात्र नहीं, बल्कि सनातन धर्म की आत्मा, युगों-युगों के प्रेरणास्रोत और मानवता के शाश्वत नायक हैं।
174 views • 2025-08-16
Sanjay Purohit
79वाँ स्वतंत्रता दिवस: नए भारत की नई कहानी
15 अगस्त 2025 का सूर्योदय केवल एक राष्ट्रीय पर्व का संकेत नहीं, बल्कि एक ऐसे युग के आगमन की घोषणा है जहाँ भारत अपनी कहानी खुद लिख रहा है। आज़ादी के 79 वर्ष बाद हम केवल अतीत के गौरव का स्मरण ही नहीं कर रहे, बल्कि भविष्य के लिए एक ठोस संकल्प भी ले रहे हैं—"नया भारत", जो आत्मनिर्भर, सुरक्षित, समृद्ध और संवेदनशील हो।
228 views • 2025-08-15
Sanjay Purohit
आज़ादी का अमृत महोत्सव: उभरते भारत की नई तस्वीर
आज़ादी का अमृत महोत्सव केवल स्वतंत्रता के 78 वर्षों का उत्सव नहीं है, बल्कि यह उस नये भारत की झलक भी है, जो 21वीं सदी में आर्थिक और सामरिक दृष्टि से वैश्विक मंच पर एक सशक्त शक्ति बनकर उभर रहा है। आज भारत न केवल अपने गौरवशाली अतीत को पुनर्स्मरण कर रहा है, बल्कि भविष्य की वह रूपरेखा भी गढ़ रहा है।
250 views • 2025-08-14
Sanjay Purohit
स्वतंत्रता दिवस 2025 : क्या नागरिक कर्तव्य-बोध का क्षरण हो रहा है?
भारत अपनी आज़ादी का 79वां वर्ष मना रहा है। तिरंगा लहराता है, देशभक्ति के गीत गूंजते हैं, और हर ओर गर्व की अनुभूति होती है। लेकिन इस उत्सव के शोर में एक गंभीर प्रश्न दब जाता है—क्या हमारे भीतर नागरिक कर्तव्यों का बोध धीरे-धीरे समाप्त हो रहा है? क्या हम केवल अधिकारों की बात कर रहे हैं, और जिम्मेदारियों को भूलते जा रहे हैं?
288 views • 2025-08-13
...