


एयर डिफेंस सिस्टम आधुनिक युद्ध में किस भी देश की वायुसेना की रीढ़ की हड्डी बन चुके हैं। अमेरिका, चीन, इजरायल, रूस, भारत और तुर्की जैसे देश लगातार अपनी एयर डिफेंस सिस्टम की क्षमता को मजबूत कर रहे हैं। हालांकि भारत इस क्षेत्र का नया खिलाड़ी है लेकिन काफी तेजी से अपने प्रतिद्वंदियों से मुकालबे की स्थिति में आ रहा है और इसी का सबूत है आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम। पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के दौरान आकाश अपनी क्षमता का प्रदर्शन कर चुका है और अब भारत ने आकाश प्राइम का भी टेस्ट कर लिया है। जबकि बहुत जल्द आकाश नेक्स्ट जेनरेशन भी बनकर तैयार हो जाएगा। लिहाजा भारत के आकाश प्राइम एयर डिफेंस सिस्टम को दुनिया के सबसे ताकतवार एयर डिफेंस सिस्टम में शामिल अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल सिस्टम से तुलना कर परखने की कोशिश करते हैं कि हमारी ताकत में कितना इजाफा हुआ है और आकाश नेक्स्ट जेनरेशन से हम अमेरिका के सिस्टम के कितने करीब पहुंच जाएंगे।
भारत का Akash Prime और अमेरिका का Patriot PAC-3 मिसाइल सिस्टम, दोनों अपनी-अपनी रणनीतिक जरूरतों और अपनी अपनी टेक्नोलॉजिक क्षमताओं के आधार पर बनाए गये हैं। भारत ने आकाश को हिमालय की दुर्गम परिस्थितियों में दुश्मनोंके खिलाफ देश की सीमा को किला बनाने के लिए आकाश बनाया है, जबकि अमेरिका की जरूरतें अलग हैं। हालांकि दोनों मिसाइलों की जरूरतें और टेक्नोलॉजी अलग अलग हैं, लेकिन मकसद एक ही है, दुश्मनों की मिसाइलों, ड्रोन या किसी अन्य खतरे के खिलाफ एक ढाल बनना। आकाश से आती हर तबाही को रोकना।
आकाश प्राइम बनाम अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल तुलना
आकाश प्राइम मिसाइल को DRDO ने मेक इन इंडिया के तहत डेवलप किया है, जिसे खास तौर पर हिमालयी क्षेत्र में चीन और पाकिस्तान से आने वाले किसी हवाई खतरे को रोकना है। पहाड़ी क्षेत्रों में एयर डिफेंस सिस्टम लगाना चुनौती भरा औरकाफी खर्चीला प्रोजेक्ट माना जाता है, लेकिन आकाश काफी कम लागत से ऑपरेट होने वाला अत्यधिक मोबाइल, यानी काफी आसानी से एक जगह से दूसरे जगह ट्रांसफर होने वाला है और काफी ऊंचाई पर सौ फीसदी सटीक प्रदर्शन करने वाला एयर डिफेंस सिस्टम है। भारत ने 15000 फीट की ऊंचाई पर इसका परीक्षण कर साबित कर दिया है कि देश ने टेक्नोलॉजी की दिशा में कितनी ज्यादा तरक्की हासिल कर ली है।