अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सख्त तेवर और उनके फैसलों के कारण कई देशों व संस्थाओं पर बढ़ते दबाव के बीच ब्रिक्स की कमान अब भारत के हाथों के आ गई है। ब्राजील से भारत को ब्रिक्स की अध्यक्षता का हस्तांतरण केवल औपचारिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि गहरे प्रतीकवाद से भरा रहा। खासकर तब जब अमेरिका के एकतरफा फैसले वैश्विक व्यवस्था को झकझोर रहे हैं। 2024 में रूस से मिले स्टील के हथौड़े के बाद, ब्राजील ने भारत को अमेजन वर्षावन की पुनर्चक्रित लकड़ी से बना हथौड़ा सौंपा।
ब्राजील के ब्रिक्स शेरपा मौरिसियो लिरियो के मुताबिक, यह प्रतीक सतत विकास और आपसी सहयोग की जड़ों को दर्शाता है, साथ ही भारत की आगामी अध्यक्षता पर विश्वास भी जताता है। ब्रिक्स की अध्यक्षा संभालने के साथ ही भारत ने कई बड़े बदलाव के संकेत दे दिए हैं। भारत आधिकारिक रूप से 1 जनवरी से ब्रिक्स की अध्यक्षता संभालेगा।
ब्राजील की अध्यक्षता में क्या प्रगति हुई?
ब्राजील ने अपनी अध्यक्षता में ब्रिक्स को सततता और समावेशी विकास के इर्द-गिर्द केंद्रित रखा। जुलाई में रियो डी जेनेरियो में हुए शिखर सम्मेलन में तीन अहम घोषणाएं हुईं। जिसमें एआई के शासन पर, जलवायु वित्त ढांचे पर और सामाजिक कारणों से फैलने वाली बीमारियों के उन्मूलन के लिए साझेदारी पर। बहुपक्षीय व्यवस्था पर बढ़ते अविश्वास के बीच भी ब्रिक्स ने संवाद और सहयोग का मंच बने रहने का संदेश दिया।