यूक्रेन युद्ध को खत्म करने की कोशिशों के बीच राष्ट्रपति जेलेंस्की ने साफ संदेश दिया है कि उनके देश के लिए सबसे अहम उसकी जमीन और संप्रभुता है। नाटो सदस्यता को लेकर लचीलापन दिखाते हुए जेलेंस्की ने कहा कि अगर पश्चिमी देश ठोस सुरक्षा गारंटी दें तो यूक्रेन नाटो की सदस्यता की जिद छोड़ सकता है। हालांकि, उन्होंने रूस को जमीन देने के अमेरिकी दबाव को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि यह यूक्रेन के लिए स्वीकार्य नहीं है।
बर्लिन में हुई अहम बातचीत के दौरान जेलेंस्की ने अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दामाद जैरेड कुशनर से मुलाकात की। इस बैठक में जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज भी मौजूद रहे। जेलेंस्की ने कहा कि अमेरिका और कुछ यूरोपीय देशों ने यूक्रेन की नाटो सदस्यता को ठुकरा दिया है, ऐसे में अब पश्चिम को यूक्रेन को वैसी ही कानूनी और मजबूत सुरक्षा गारंटी देनी होगी जैसी नाटो देशों को मिलती है।
नाटो छोड़ने पर तैयार, लेकिन शर्तें साफ
जेलेंस्की ने कहा कि नाटो सदस्यता छोड़ना यूक्रेन की ओर से एक बड़ा समझौता है। उनका कहना है कि सुरक्षा गारंटी का मकसद रूस की भविष्य की किसी भी आक्रामक कार्रवाई को रोकना होना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि ये गारंटी सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि कानूनी रूप से बाध्यकारी होनी चाहिए और इन्हें अमेरिकी संसद की मंजूरी मिलनी चाहिए।
जमीन छोड़ने का प्रस्ताव नामंजूर
शांति समझौते की राह में सबसे बड़ी अड़चन यूक्रेन के पूर्वी डोनेट्स्क इलाके को लेकर है, जिस पर रूस का बड़ा कब्जा है। जेलेंस्की ने बताया कि अमेरिका ने सुझाव दिया था कि यूक्रेन डोनेट्स्क से अपनी सेना पीछे हटाए और वहां एक असैन्य आर्थिक क्षेत्र बनाया जाए। जेलेंस्की ने इस प्रस्ताव को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि अगर यूक्रेनी सेना 5 से 10 किलोमीटर पीछे जाती है, तो रूसी सेना भी उतनी ही दूरी तक पीछे क्यों नहीं हटे। उन्होंने दो टूक कहा कि संपर्क रेखा पर मौजूदा स्थिति को फ्रीज करना ही सबसे न्यायसंगत विकल्प है।