


केरल के तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर ब्रिटिश रॉयल नेवी का एक फाइटर जेट F-35B पिछले एक महीने से भी ज्यादा समय से धीरे-धीरे दम तोड़ने को मजबूर है। वजह ये है कि ईंधन की कमी की वजह से इमरजेंसी लैंडिंग के बाद यह अत्याधुनिक लड़ाकू विमान इस तरह से खराब हुआ कि इसे दुनिया के बड़े-बड़े एविएशन इंजीनियर ठीक नहीं कर पाए। इस स्टील्थ फाइटर जेट को दुनिया की सबसे बड़ी डिफेंस कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने बनाया है, जो कि अमेरिकी सरकार की भी सबसे बड़ी डिफेंस सप्लायर है। अब एक रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि सिर्फ केरल में उतरे F-35B लड़ाकू विमान के साथ ही ऐसी तकनीकी दिक्कत सामने नहीं आ रही है। अमेरिका का डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन भी F-35 जेट के सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की दिक्कतों से बड़ी मुश्किलें झेल रहा है।
सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन में देरी से परेशान अमेरिका
एक रिपोर्ट के अनुसार लॉकहीड मार्टिन ने इस साल 1 मई तक अमेरिकी सरकार को 72 F-35 फाइटर जेट दिए हैं। इस डिलिवरी में काफी देर हुई है, क्योंकि इसके सॉफ्टवेयर अपग्रेडेशन में दिक्कतों की वजह से यह डिलिवरी कुछ महीनों से अटकी पड़ी थी। ये अपग्रेड टेक्नोलॉजी रिफ्रेश-3 (TR-3) के नाम से जाना जाता है।
अमेरिकी सरकार के सामने आई पेमेंट रोकने की नौबत
लॉकहीड मार्टिन अमेरिकी सरकार को इन विमानों को समय पर डिलिवरी नहीं कर पा रहा है, इसके चलते पेंटागन ने पिछले साल से ही हर जेट पर 5 मिलियन डॉलर रोक लिए थे। हालांकि, जनवरी में ये रकम 1.2 मिलियन डॉलर प्रति विमान कम कर दी गई। क्योंकि, डिफेंस कांट्रेक्टर ने अपग्रेड में कुछ प्रगति दिखाई। वैसे रिपोर्ट में कहा गया है कि नए विमानों के लिए फंड अभी भी रोका जाएगा और इसे अगले साल तक धीरे-धीरे जारी किया जाएगा।