


यमन की जेल में बंद भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी में अब बस 24 घंटे रह गए हैं। निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमनी नागरिक की हत्या के आरोप में 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। इस बीच निमिषा को बचाने के अंतिम प्रयास में एक प्रमुख भारतीय सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु शामिल हो गए हैं। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, भारत के ग्रैंड मुफ्ती शेख अबूबकर अहमद कथित तौर पर पीड़ित के परिवार को ब्लड मनी स्वीकार करने के लिए मनाने के एक मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं। निमिषा प्रिया को बचाने के लिए अब ब्लड मनी ही एक मात्र उपाय रह गया है।
प्रिया को बचाने का एक ही उपाय
यमन में शरिया कानून लागू है। इसके तहत पीड़ित का परिवार एक निश्चित रकम लेकर दोषी को माफ कर सकता है, जिसे ब्लड मनी के नाम से जाना जाता है। हालांकि, निमिषा प्रिया के मामले में पीड़ित के परिवार ने इस तरह का कोई संकेत अब तक नहीं दिया है। ऐसे में सुन्नी धर्मगुरु के मामले में सक्रिय होने से निमिषा प्रिया के बचने की आखिरी उम्मीद अभी बनी हुई है।
निमिषा प्रिया पर क्या हैं आरोप?
मूल रूप के केरल के पलक्कड़ की रहने वाली 37 वर्षीय निमिषा प्रिया यमन की राजधानी सना में मौत की सजा का सामना कर रही है। प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था। उसे 2020 में मौत की सजा सुनाई गई थी। प्रिया की कानूनी टीम के अनुसार, उन्होंने महदी के लंबे समय से चल रहे उत्पीड़न से बचने और उसके पास से अपना पासपोर्ट वापस पाने के लिए उसे बेहोश करने वाली दवाएं दीं।
मुस्लिम धर्मगुरु ने महदी के परिवार से किया संपर्क
प्रिया का इरादा केवल अपना पासपोर्ट वापस पाना था, लेकिन ओवरडोज के चलते महदी की मौत हो गई। नर्स के ऊपर मौत के बाद शव को टुकड़े-टुकड़े करके जमीन के नीचे टैंक में डालने का आरोप है। प्रिया को देश छोड़ने की कोशिश करते समय गिरफ्तार कर लिया गया। केरल की नर्स के वकील सुभाष चंद्रन ने पुष्टि की कि मुस्लिम धर्मगुरु अबूबकर ने महदी के परिवार से संपर्क किया है और वे यमन में धार्मिक और सामुदायिक नेताओं के साथ मिलकर समाधान निकालने का प्रयास कर रहे हैं।