


धरती की अपनी धुरी पर घूमने की रफ्तार बढ़ रही है। धरती के घूमने की बढ़ती रफ्तार का नतीजा दिन का समय कम होने के तौर पर सामने आया है।वैज्ञानिकों का कहना है कि अब इसकी पुष्टि हो गई है कि आने वाले समय में हमें 24 घंटे से कम के दिन देखने को मिलेंगे। वैज्ञानिकों ने इसी महीने 22 जुलाई और 5 अगस्त को दिन 1.3 से 1.5 मिलीसेकंड तक छोटा होने की बात कही है। हालांकि दिन की घटी हुई अवधि को सिर्फ कुछ खास उपकरणों से ही मापा जा सकेगा।
पृथ्वी के घूमने को लेकर सामान्य समझ रही है कि पृथ्वी 24 घंटे में सूर्य का चक्कर लगाती है। यह एक दिन की अवधि होती है। यह समय यानी एक दिन 24 घंटे का होता है। रिसर्च कहती है कि यह अवधि हमेशा स्थिर नहीं होती। चंद्रमा और सूर्य की स्थिति समय के साथ इसमें बदलाव ला सकती है। यहां तक कि भूकंप और दूसरी भूगर्भीय घटनाएं भी पृथ्वी की घूर्णन गति को बदल सकती हैं। इसका दिन के समय पर असर होता है।
पहले भी बदला है दिन का समय
वैज्ञानिकों का कहना है कि दिन के समय में बदलाव कोई ऐसी घटना नहीं है, जो कभी ना देखी गई हो। दिन हमेशा से 24 घंटे के नहीं रहे हैं। शोधकर्ताओं ने पाया है कि 1 से 2 अरब साल पहले पृथ्वी पर एक दिन सिर्फ 19 घंटे का होता था। उस समय चंद्रमा पृथ्वी के काफी करीब था और उसका गुरुत्वाकर्षण बल ज्यादा था। इस दूरी ने पृथ्वी के घूर्णन को धीमा किया, जिससे दिन लंबे होते गए और 24 घंटे के चक्र तक पहुंच गए।
दैनिक जीवन पर क्या होगा प्रभाव?
एक दिन के समय से 1 से 2 मिलीसेकंड कम होना इंसानी जिंदगी के लिए कोई मायने नहीं रखता है। इसका आम जनजीवन पर किसी तरह का फर्क देखने को नहीं मिलेगा। यहां तक कि हमारी आम घड़ियां इस फर्क को नहीं दिखा पाती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ये छोटा सा बदलाव भी सैटेलाइट सिस्टम, जीपीएस और समय ट्रैक करने के तरीके पर असर डालेगा।