


धार्मिक और आध्यात्मिक गुरू दलाई लामा के लद्दाख पहुंचते ही क्षेत्र में कूटनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सोमवार सुबह विशेष विमान से दलाई लामा लेह एयरपोर्ट पहुंचे, जहां हजारों अनुयायियों और स्थानीय लोगों ने पारंपरिक परिधानों में उनका भव्य स्वागत किया।
दिलचस्प बात यह रही कि दलाई लामा के लद्दाख आगमन की खबर सामने आते ही चीन ने एक बार फिर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। बीजिंग के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बयान जारी कर इसे 'भारत द्वारा उठाया गया उकसावे वाला कदम' बताया और कहा कि इससे सीमा क्षेत्र में तनाव और बढ़ सकता है।
ज्ञात हो कि दलाई लामा हर वर्ष स्वास्थ्य लाभ और धार्मिक प्रवचनों के लिए लद्दाख आते रहे हैं। लेकिन इस बार यह दौरा उस समय हो रहा है, जब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध की स्थिति बनी हुई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि दलाई लामा एक धार्मिक नेता हैं और भारत में उन्हें पूरी स्वतंत्रता प्राप्त है। भारत ने यह भी दोहराया कि यह पूरी तरह से आंतरिक विषय है और इसका किसी अन्य देश से कोई लेना-देना नहीं।
स्थानीय स्तर पर लद्दाख में दलाई लामा के आगमन से खुशी का माहौल है। लेह के प्रमुख बौद्ध मठों में विशेष प्रार्थना सभाएं आयोजित की जा रही हैं। अनुयायियों का कहना है कि उनकी उपस्थिति से क्षेत्र में शांति और सद्भाव को नई ऊर्जा मिलती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही यह धार्मिक यात्रा हो, लेकिन चीन के लिए यह एक कूटनीतिक संदेश भी है कि भारत दलाई लामा के विषय में अपनी स्वतंत्र नीति पर कायम है।
फिलहाल लद्दाख में सुरक्षा एजेंसियां भी सतर्क हैं और पूरे क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सूत्रों के अनुसार, दलाई लामा आगामी कुछ दिनों तक लेह और आसपास के क्षेत्रों में प्रवचन देंगे और कई बौद्ध मठों में धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेंगे।