


भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से वापसी को लेकर अहम जानकारी सामने आई है। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला 18 दिनों के इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) मिशन के बाद एक्सिओम-4 से पृथ्वी पर लौटेंगे। भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला और एक्सिओम-4 मिशन के तीन अन्य चालक दल के सदस्य अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में 18 दिन बिताने के बाद आज पृथ्वी पर लौटेंगे।
अमेरिका के कैलिफोर्निया तट पर पहुंचने की उम्मीद
वे कल स्पेसएक्स ड्रैगन के जरिए पृथ्वी की लगभग 22 घंटे की यात्रा पर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की परिक्रमा करने वाली प्रयोगशाला से रवाना हुए और आज दोपहर 3 बजे (भारतीय समयानुसार) अमेरिका के कैलिफोर्निया तट पर पहुंचने की उम्मीद है।
इससे पहले केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने रविवार को एक्सिओम-4 इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन मिशन से जुड़ा अपडेट दिया था। उन्होंने बताया था कि शुभांशु शुक्ला 15 जुलाई को दोपहर 3 बजे (भारतीय समयानुसार) पृथ्वी पर लौट सकते हैं।
एक्सिओम-4 मिशन की अंतरिक्ष यात्रा 25 जून को हुई शुरू
एक्सिओम-4 मिशन की अंतरिक्ष यात्रा 25 जून को शुरू हुई जब ड्रैगन अंतरिक्ष कैप्सूल को ले जाने वाला फाल्कन-9 रॉकेट फ्लोरिडा से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ओर रवाना हुआ। ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले केवल दूसरे भारतीय हैं। उनकी यह यात्रा अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा द्वारा 1984 में रूसी सोयुज पर उड़ान भरने के 41 साल बाद हुई।
आईएसएस पर शुभांशु शुक्ला ने किए प्रयोग
आईएसएस पर शुभांशु शुक्ला ने भारत-विशिष्ट सूक्ष्म-गुरुत्वाकर्षण प्रयोग किए, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत की बढ़ती क्षमताओं का प्रदर्शन हुआ। ये प्रयोग भविष्य के ग्रहीय मिशनों और लंबी अवधि के अंतरिक्ष निवास के लिए महत्वपूर्ण डेटा उत्पन्न करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। रविवार को, नासा के अभियान दल ने एक्सिओम-4 चालक दल के लिए एक पारंपरिक विदाई समारोह का आयोजन किया। विदाई समारोह में बोलते हुए, शुभांशु शुक्ला ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा को वास्तव में अविश्वसनीय बताया।
टीम ने अंतरिक्ष में 14 दिनों तक कई वैज्ञानिक रिसर्च किए जिसमें अंतरिक्ष में मानव शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करना, जैसे कि जीरो ग्रैविटी में शरीर की प्रतिक्रिया, माइक्रोग्रैविटी स्थितियों में विभिन्न खाद्य पदार्थों को अंकुरित करना और उनके विकास का अध्ययन करना, जैसे कि हरा चना, मेथी और मूंग शामिल है।
कुल मिलाकर 31 देशों के 60 प्रयोग किए गए जिसमें विज्ञान और तकनीक को आगे बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयोग शामिल हैं।
भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान महत्वाकांक्षाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम
आकाश गंगा नामक यह मिशन, एक्सिओम स्पेस, नासा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का एक संयुक्त प्रयास है। यह आगामी गगनयान मिशन और प्रस्तावित भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन सहित भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान महत्वाकांक्षाओं की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
शुभांशु शुक्ला इस मिशन में निभा रहे हैं पायलट की भूमिका
इस मिशन का नेतृत्व कमांडर पेगी व्हिटसन कर रही हैं, जबकि शुभांशु शुक्ला पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। स्लावोस उजनान्स्की-विस्निव्स्की मिशन स्पेशलिस्ट हैं, जिनके साथ टिबोर कापू भी शामिल हैं।