IIT कानपुर के वैज्ञानिकों ने एक नया एंटीबॉडी आधारित बायोसेंसर विकसित किया है, जो जीवित कोशिकाओं में जी प्रोटीन-कपल्ड रिसेप्टर्स ( जीपीसीआरएस ) की सक्रियता की निगरानी कर सकता है। जीपीसीआरएस मानव कोशिकाओं में सबसे बड़ी रिसेप्टर प्रोटीन फैमिली है और एक-तिहाई से अधिक क्लिनिकल दवाएं इन्हीं को लक्षित करती हैं। यह शोध प्रोफेसर अरुण के. शुक्ला के नेतृत्व में किया गया, जिनकी टीम पिछले दस वर्षों से जीपीसीआर जीवविज्ञान पर काम कर रही है।
जीपीसीआरएस शरीर में विभिन्न प्रकार के संकेतों को नियंत्रित करते हैं और नई दवाएं और उपचार विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह नया बायोसेंसर जीवित कोशिकाओं में रिसेप्टर्स की सक्रियता को मॉनिटर करने की तकनीकी चुनौती को दूर करने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि है। जीपीसीआरएस तब तक निष्क्रिय रहते हैं जब तक उन्हें प्रकाश, हार्मोन या छोटे अणुओं जैसे संकेत नहीं मिलते। ये संकेत उन्हें सक्रिय करते हैं और यह प्रक्रिया कोशिका झिल्ली के आर-पार संकेतों को भेजने का काम करती है।
प्राग के इंस्टिट्यूट के सहयोग से हुई रिसर्च
प्रफेसर अरुण के. शुक्ला ने कहा कि इस बायोसेंसर की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसमें जीपीसीआर को किसी भी तरह से संशोधित करने की जरूरत नहीं होती, फिर भी यह उनके सक्रिय होने की जानकारी दे सकता है। इस सेंसर की बहुआयामी उपयोगिता हमें अलग-अलग कोशिकीय भागों में जीपीसीआर की स्थिति की निगरानी करने की अनुमति देती है।