


भारतीय चिकित्सा परंपरा में नीम को एक ऐसा वृक्ष माना गया है, जिसकी प्रत्येक शाखा, पत्ती, छाल, फल और बीज औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। इसका स्वाद भले ही कड़वा हो, लेकिन इसके भीतर प्रकृति ने वह शक्ति समाहित की है, जो सैकड़ों रोगों में रामबाण सिद्ध होती है।
हृदय स्वास्थ्य की दृष्टि से नीम अत्यंत लाभकारी माना जाता है। नीम का सेवन रक्त को शुद्ध करता है और हृदय धमनियों में अवरोध बनने की संभावना को कम करता है। नीम में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट तत्व हृदय की धमनियों को साफ रखते हैं और रक्तचाप तथा कोलेस्ट्रॉल के स्तर को संतुलित करने में सहायक होते हैं। इससे हृदय संबंधित रोगों का खतरा कम होता है।
त्वचा रोगों में नीम का उपयोग प्राचीन समय से होता आ रहा है। दाद, खाज, खुजली, फोड़े-फुंसी, मुहांसे और सोरायसिस जैसी समस्याओं में नीम की पत्तियों का लेप या नीम के पानी से स्नान करना अत्यधिक लाभकारी होता है। नीम में प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण होते हैं, जो त्वचा को संक्रमण रहित और रोगमुक्त बनाए रखते हैं। नियमित नीम स्नान त्वचा को ठंडक पहुंचाता है और उसे साफ-सुथरा रखता है।
दांत और मसूड़ों की देखभाल में भी नीम का विशेष स्थान है। पुराने समय में लोग नीम की दातून से दांत साफ करते थे, जो आज भी प्रभावशाली माना जाता है। नीम की दातून करने से दांत सफेद, मजबूत और कीटाणुरहित रहते हैं। पायरिया, मसूड़ों की सूजन और दांतों में कीड़ा लगने जैसी समस्याओं में नीम बेहद उपयोगी सिद्ध होता है। इसके प्राकृतिक एंटीसेप्टिक गुण मुँह की दुर्गंध को भी दूर करते हैं और मसूड़ों को स्वस्थ बनाए रखते हैं।
मधुमेह यानी डायबिटीज़ के नियंत्रण में भी नीम की महत्वपूर्ण भूमिका है। नीम की पत्तियों का रस या चूर्ण लेने से रक्त में शर्करा का स्तर नियंत्रित रहता है। आयुर्वेद के अनुसार, नीम शरीर में इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को बढ़ाता है और डायबिटीज़ रोगियों के लिए एक सुरक्षित प्राकृतिक सहायक हो सकता है।
नीम शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है। इसके नियमित सेवन या उपयोग से मौसमी बुखार, सर्दी-जुकाम, वायरल संक्रमण और एलर्जी से बचाव संभव होता है। नीम के प्रयोग से शरीर भीतर से शुद्ध और मजबूत बनता है, जिससे सामान्य बीमारियां पास नहीं फटकतीं।
नीम बालों के लिए भी लाभकारी है। नीम के पत्तों को उबालकर उस पानी से सिर धोने पर बालों में रुसी और जुओं की समस्या समाप्त होती है। बाल मजबूत बनते हैं और उनमें प्राकृतिक चमक आती है।
घरेलू उपयोग में भी नीम की उपयोगिता कम नहीं है। पुराने समय से लोग अनाज में नीम की सूखी पत्तियां रखते आए हैं ताकि उसमें कीड़े न लगें। इसके अलावा, वातावरण शुद्ध करने के लिए नीम की पत्तियों का धुआं जलाया जाता है, जिससे घर के भीतर मौजूद हानिकारक जीवाणु और कीट समाप्त हो जाते हैं।