उत्तर मध्य रेलवे के झांसी डिवीजन ने 40 साल में पहली बार एक ऐसा बड़ा इन्फ्रास्ट्रक्चर सुधार कार्य किया है जिससे ट्रेनों की पंक्चुअलिटी रेट में तेज़ी से सुधार आएगा। इस ऐतिहासिक बदलाव के तहत रेल डिवीजन 40 साल पुराने OHE (ओवरहेड इक्विपमेंट) वायर को ज्वाइंटलेस कॉन्टैक्ट वायर से बदल रहा है। इस काम के बाद सफर के दौरान ट्रैक के बीचों-बीच ट्रेनें खड़ी होने की समस्या भी लगभग समाप्त हो जाएगी।
क्यों ज़रूरी था यह बदलाव?
वर्ष 1985-86 में जब रेल ट्रैक पर विद्युतीकरण का काम शुरू किया गया था तब पुरानी तकनीक के कारण 1500 मीटर OHE वायर की लंबाई में कई जगहों पर ब्रेज़िंग ज्वाइंट लगाए जाते थे। इन जॉइंट्स की वजह से अक्सर OHE वायर टूटने की शिकायतें आती थीं जिसके परिणामस्वरूप ट्रेनें ट्रैक पर रुक जाती थीं और पंक्चुअलिटी प्रभावित होती थी।
जॉइंटलेस वायर से आई क्रान्ति
इस समस्या को दूर करने के लिए डिवीजन के विद्युत विभाग द्वारा बिना किसी जॉइंट वाले कॉन्टैक्ट वायर लगाए जा रहे हैं। इस वित्तीय वर्ष में अभी तक 94.2 किलोमीटर ट्रैक पर ज्वाइंटलेस कॉन्टैक्ट वायर बदले जा चुके हैं। अकेले अक्टूबर माह में ही 33 किलोमीटर ट्रैक पर यह काम पूरा हुआ है। मंडल द्वारा अब तक कुल 153.6 किलोमीटर ज्वाइंटलेस वायर लगाए जा चुके हैं।
डीआरएम अनिरुद्ध कुमार ने बताया कि बगैर जॉइंट वाले कॉन्टैक्ट वायर के कारण OHE फेल होने से होने वाले ब्रेकडाउन में भारी कमी आई है और इनकी संख्या अब 'जीरो' के बराबर हो गई है। इससे ट्रेनों की पंक्चुअलिटी में बहुत सुधार होगा। इस महत्वपूर्ण कार्य में तेज़ी लाने के लिए दो अतिरिक्त टावर वैगन भी लगाए गए हैं।