


अमेरिका में एक 53 साल की महिला तोवाना लूनी के शरीर में अप्रैल 2024 में जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअर की किडनी लगाई गई थी. शुरुआत में सबकुछ ठीक चला. सर्जरी के बाद वह 130 दिन तक इस जानवर की किडनी के सहारे ज़िंदगी जीती रहीं.
सबसे दिलचस्प बात ये हैं कि इससे पहले किसी ने भी सुअर की किडनी के भरोसे इतना लंबा समय नहीं जिया.लेकिन फिर वो हुआ, जिससे डॉक्टर भी चिंतित हो उठे. महिला का शरीर इस किडनी को नकारने लगा. डॉक्टरों को अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि अचानक यह किडनी क्यों बंद हो गई.
क्या है पूरा मामला?
अमेरिका के अलाबामा की रहने वाली महिला जिनका नाम तोवाना लूनी है, को किडनी फेल्योर था और उन्हें डायलिसिस पर रखा गया था. उन्हें मानव शरीर में जेनेटिक रूप से बदली गई सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट की गई इस उम्मीद में कि शायद ये उनके जीवन को एक नई दिशा दे सके. ट्रांसप्लांट सफल रहा और किडनी ने काम करना शुरू कर दिया. लेकिन करीब 130 दिन बाद उनके शरीर में प्रतिरोधक प्रतिक्रिया शुरू हो गई. इम्यून सिस्टम ने किडनी को बाहरी अंग मानकर अस्वीकार कर दिया. इसके बाद डॉक्टरों को मजबूरी में वह किडनी हटानी पड़ी. अब तोवाना फिर से डायलिसिस पर हैं.
इंसानों में सुअर की किडनी, कितनी सफल रही अबतक?
यह पहली बार नहीं है जब इंसान को सुअर की किडनी लगाई गई हो. इससे पहले भी अमेरिका में कई मरीजों को जेनेटिकली मॉडिफाइड सुअर की किडनी ट्रांसप्लांट की जा चुकी है. कुछ ट्रांसप्लांट सफल रहे, कुछ में मरीज की मौत भी हुई. हाल ही में एक 66 वर्षीय व्यक्ति को सुअर की किडनी लगाई गई और सिर्फ एक हफ्ते में उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई. अमेरिका में अब तक 5 लोगों को इस तरह की किडनी लगाई गई है. इनमें से 2 मरीजों की मौत हो चुकी है, जबकि तोवाना की तरह एक मरीज को डायलिसिस पर लौटना पड़ा.
क्या सुअर की किडनी भविष्य का इलाज है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह ट्रांसप्लांट पूरी तरह विफल नहीं रहा. 130 दिन तक एक सुअर की किडनी को इंसानी शरीर में काम करना एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है. अस्पताल के सर्जनों का कहना है कि इससे भविष्य में किडनी फेल्योर के मरीजों को नया जीवन मिल सकता है. डोनर की कमी और लंबी वेटिंग लिस्ट वाले देशों के लिए यह एक क्रांतिकारी विकल्प हो सकता है.