


उज्जैन के विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में दीपवली कुछ खास रही। इसदिन यहां महाकाल को बेसन के लड्डुओं के साथ ही पोषण से भरपूर रागी के लड्डू का भोग भी लगाया गया। भक्तों की सेहत का ख्याल रखते हुए महाकाल मंदिर समिति ने महाप्रसाद की ये नई व्यवस्था शुरू की है। इन लड्डुओं की खासियत ये भी रहेगी कि स्वास्थ्यवर्धक ये प्रसाद मंदिर परिसर में ही मिलना शुरू हो गया है। वहीं समिति की ओर से ये लड्डू नो प्रोफिट नो लॉस पर बेचे जाएंगे। इसके साथ ही महाकालेश्वर मंदिर देश का पहला ऐसा मंदिर बन गया है, जहां श्रीअन्न रागी का प्रसाद भक्तों को मिल सकेगा।
जानें क्या है रागी और समिति ने क्यों चुना यह अनाज
रागी को मध्य भारत में मंडुआ कहा जाता है। भारतीय पारंपरिक अनाजों में सबसे पौष्टिक माने जाने वाले इस अनाज में कैल्शियम, फाइबर आयरन की मात्रा गेहूं से कहीं ज्यादा होती है। रागी से बने लड्डू को आयुर्वेद में शक्ति और शुद्धता का प्रतीक कहा गया है।
महाकाल को लगा पहला भोग
दीवाली से एक दिन पहले यानी अमावस्या की पूर्व संध्या पर विशेष पूजन के दौरान महाकाल को रागी के लड्डुओं का पहला भोग लगाया गया। यह भोग परंपरागत पंचामृत के साथ महाकाल को अर्पित किया गया। इसके बाद इसे महाप्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया गया। सीएम मोहन यादव ने इस नई व्यवस्था की शुरुआत की है।