छठ पूजा 2025: छठी मैय्या कौन है और सूर्य देव की ही पूजा क्यों होती है?
छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख व्रत है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह व्रत सूर्य देव और छठी मैय्या को समर्पित होता है।
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छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख व्रत है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह व्रत सूर्य देव और छठी मैय्या को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव और छठी मैय्या का ही प्रमुख तौर पर पूजा की जाती है लेकिन इसके पीछे का धार्मिक महत्व क्या है।

छठी मैय्या कौन हैं?

छठी मैय्या हिन्दू धर्म में मातृ शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। उन्हें सूर्य की शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। मान्यता है कि छठी मैय्या अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं और उन्हें रोग, दुःख और संकट से मुक्ति दिलाती हैं। लोग विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए छठी मैय्या की उपासना करते हैं।

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा में छठी मैय्या और सूर्य देव की आराधना से जीवन में स्वास्थ्य, शक्ति, सुख और समृद्धि आती है। यह व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का संपूर्ण अभ्यास है।

छठ पूजा चार दिनों तक मनाई जाती है और इसके प्रमुख उद्देश्य हैं।

सूर्य देव की आराधना: सूर्य देव जीवन के आधार हैं, ऊर्जा और स्वास्थ्य के प्रतीक हैं। उन्हें अर्घ्य देने से जीवन में शक्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।

फाई और अनुशासन: व्रत के दौरान घर और आसपास का क्षेत्र साफ-सुथरा रखा जाता है, जिससे मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि होती है।

संकटों से मुक्ति: छठी मैय्या की भक्ति और सूर्योदय-सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने से जीवन में बाधाओं का नाश होता है।

परिवार में समरसता: व्रत पूरे परिवार के साथ मिलकर करने से आपसी प्रेम और समझ बढ़ती है।

सूर्य देव की पूजा क्यों की जाती है?

सूर्य देव को जीवनदाता माना जाता है। छठ पूजा में उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है और उनसे ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। सूर्य की किरणें जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं और मनुष्य की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं।

छठ पूजा में लोग निर्जला व्रत रखते हैं, शाम और सुबह सूर्य को अर्घ्य (जल अर्पित करना) देते हैं। इसे ‘संध्या अर्घ्य’ और ‘उषा अर्घ्य’ कहा जाता है। छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का संगम है। छठी मैय्या और सूर्य देव की उपासना से जीवन में सफलता, सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

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