


छठ का पर्व भारत के बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ क्षेत्रों में बड़े श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। इस वर्ष ये पर्व 27 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया की पूजा के लिए समर्पित है। इसे मनाने का उद्देश्य स्वास्थ्य, समृद्धि, लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना है। छठ पर्व कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (नहाय-खाय) से शुरू होकर चार दिन तक चलता है। जिसमें व्रती निर्जल व्रत रखते हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। यह पर्व शुद्धता, अनुशासन और आस्था का प्रतीक भी है।
क्यों मनाया जाता है छठ पर्व
छठ पर्व का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया की कृपा प्राप्त करना है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति लाने का माध्यम भी माना जाता है। व्रती, जो अधिकतर महिलाएं होती हैं, इस दौरान निर्जल व्रत रखती हैं और सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इसके साथ ही वे अपने परिवार की खुशहाली, अपने बच्चों की लंबी उम्र और अपने स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करती हैं।
इस पर्व का पालन करने से शरीर और मन की शुद्धि होती है। व्रत और पूजा के दौरान अनुशासन, संयम और आत्मनिरीक्षण की भावना पैदा होती है। इसके अलावा, छठ पर्व परिवार और समाज में आपसी प्रेम, सहयोग और विश्वास को भी मजबूत करता है। यह पर्व शारीरिक तप, आध्यात्मिक भक्ति और सामाजिक समर्पण का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत करता है।
सूर्य देव और छठी मैया का रिश्ता
सूर्य देव को जीवन का मूल स्रोत माना जाता है और उनके अर्घ्य लेने से शरीर और मन में ऊर्जा, शक्ति और स्वास्थ्य का संचार होता है। छठी मैया सूर्य देव की शक्तिक रूपी देवी हैं और धार्मिक मान्यता के अनुसार उन्हें सूर्य देव की बहन माना जाता है। इसलिए छठ पर्व में सूर्य देव के साथ-साथ छठी मैया की भी विशेष पूजा की जाती है। व्रती उनकी संयुक्त उपासना करते हुए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं, जिससे जीवन में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य, संतुलन, सुरक्षा और समृद्धि आती है। यह पर्व भक्ति, संयम और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक भी है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।