


छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के तरौद गांव में डायरिया का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। बीते एक सप्ताह से गांव के लोग दूषित पेयजल की चपेट में हैं। 20 साल पुरानी पाइपलाइन से सप्लाई हो रहा गंदा पानी अब लोगों की सेहत पर भारी पड़ रहा है। उल्टी-दस्त की शिकायत लेकर छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं।
गांव में स्वास्थ्य विभाग का शिविर शुरू
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गांव में चिकित्सा शिविर शुरू किया है। सीएमएचओ डॉ. महेश सूर्यवंशी ने बताया कि डायरिया फैलने की मुख्य वजह दूषित पेयजल है। गांव के उप-स्वास्थ्य केंद्र में 24 घंटे डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है और मरीजों का उपचार लगातार जारी है।
तीन मौतों से गांव में डर का माहौल, कारणों पर स्पष्टता
गांव में तीन लोगों की मौत के बाद भय का माहौल गहराया हुआ है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने यह स्पष्ट किया है कि इन मौतों का सीधा कारण डायरिया नहीं है।
पहली मौत एक व्यक्ति की हार्ट अटैक से हुई, जिसे शुरू में डायरिया से मौत माना गया।
दूसरी मौत 6 महीने के शिशु की निमोनिया से हुई।
तीसरी मौत 75 वर्षीय महिला की थी, जो पहले से गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं।
स्थिति में सुधार, अब तक राहत
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार बीते दो दिनों में कोई नया केस सामने नहीं आया है। पहले भर्ती हुए अधिकतर मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। फिलहाल केवल तीन मरीज अस्पताल में भर्ती हैं, जिससे कुछ राहत की स्थिति बनी है।
ग्रामीणों की मांग – बदली जाए पुरानी पाइपलाइन
गांव के लोगों का कहना है कि वर्षों पुरानी पाइपलाइन अब पूरी तरह खराब हो चुकी है, जिससे पेयजल में गंदगी मिल रही है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि तरौद की जल आपूर्ति व्यवस्था को तत्काल बदला जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति दोबारा उत्पन्न न हो।