वर्ल्ड इनइक्वैलिटी रिपोर्ट 2026 के अनुसार भारत में अमीरी और गरीबी का फासला बेहद गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। देश की 65% संपत्ति शीर्ष 10% लोगों के पास केंद्रित है, जबकि नीचे के 50% लोगों के पास केवल 6.4% संपत्ति है। रिपोर्ट को अर्थशास्त्री लुकास चैंसेल, रिकार्डो गोमेज़-कारेरा, रोवाइदा मोश्रिफ और थॉमस पिकेट्टी ने तैयार किया है। सबसे अमीर 1% भारतीयों के पास देश की लगभग 40% संपत्ति है, जो आर्थिक असमानता की गहराई को उजागर करता है।
आय में भी भारी खाई
रिपोर्ट बताती है कि देश की 58% आय टॉप 10% लोग कमाते हैं, जबकि नीचे के 50% लोगों की हिस्सेदारी सिर्फ 15% आय है। 2014 से 2024 के बीच आय असमानता में मामूली वृद्धि हुई है—यह अंतर 38% से बढ़कर 38.2% पर पहुंचा है।
महिलाओं की आर्थिक भागीदारी चिंताजनक स्तर पर
भारत में महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी सिर्फ 15.7% है और पिछले एक दशक में इसमें खास सुधार नहीं हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत की बड़ी आबादी, जो 1980 में मध्य वर्ग में थी, अब आर्थिक रूप से नीचे के 50% हिस्से में खिसक गई है।
दुनिया में भी असमानता ऐतिहासिक स्तर पर
वैश्विक स्तर पर असमानता तेजी से बढ़ी है। दुनिया की कुल संपत्ति रिकॉर्ड स्तर पर है लेकिन इसका फायदा बहुत कम लोगों को मिला है। दुनिया के सिर्फ 60,000 लोगों (0.001%) के पास उतनी संपत्ति है, जितनी वैश्विक आबादी के निचले 50% के पास मिलकर भी नहीं है।