मध्य प्रदेश के प्रमुख तकनीकी विश्वविद्यालय, राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (आरजीपीवी) में प्रशासनिक अस्थिरता का दौर अभी भी जारी है। सिर्फ डेढ़ साल के भीतर ही विश्वविद्यालय के दूसरे कुलगुरु प्रो. राजीव त्रिपाठी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राज्यपाल को ईमेल के माध्यम से भेजे इस्तीफा पत्र में व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार यह निर्णय नैक मूल्यांकन से जुड़े विवाद और छात्र संगठनों के विरोध प्रदर्शनों से प्रभावित प्रतीत होता है।
नैक असेसमेंट से ठीक पहले आरजीपीवी प्रशासन ने सेल्फ स्टडी रिपोर्ट (SSR) को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया था, जिसके कारण विश्वविद्यालय पर पारदर्शिता की कमी के गंभीर आरोप लगे। इसके बाद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने 22 गंभीर अनियमितताओं का खुलासा करते हुए प्रशासन पर हमला बोला। छात्रों ने धरना-प्रदर्शन कर कुलगुरु का घेराव किया और नैक के ‘ए’ ग्रेड पर सवाल उठाए। इन घटनाओं के बीच प्रो. त्रिपाठी ने अपना पद छोड़ने का निर्णय लिया।
आरजीपीवी में प्रशासनिक अस्थिरता कोई नई समस्या नहीं है। मार्च 2024 में पूर्व कुलगुरु प्रो. सुनील कुमार ने भी इस्तीफा दिया था। उन पर लगभग 19.4 करोड़ रुपये के वित्तीय घोटाले के आरोप लगे थे, जिसमें विश्वविद्यालय के फंड को निजी खातों में ट्रांसफर करने का मामला शामिल था। एफआईआर दर्ज होने के बाद ही उन्होंने त्यागपत्र सौंपा था।
प्रो. त्रिपाठी की नियुक्ति सितंबर 2024 में हुई थी, जब यह पद लगभग छह महीने से रिक्त था। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने उनके इस्तीफे की पुष्टि कर दी है, लेकिन इसे राज्यपाल मंगलूभाई पटेल द्वारा स्वीकार किए जाने का इंतजार है। फिलहाल विश्वविद्यालय के कार्यों को सुचारू रूप से चलाने के लिए कोई अंतरिम व्यवस्था घोषित नहीं की गई है।