बसपा और कांग्रेस के बीच अटका Rajendra Singh Gudha का राजनीतिक जीवन, अब थामेंगे AIMIM का दामन!
राजस्थान की सियासत में इन दिनों एक नाम के खूब चर्चे हैं, वो और कोई नही बल्कि कांग्रेस के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा हैं। वे हमेशा से ही अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहें हैं।


payal trivedi
Created AT: 26 जुलाई 2023
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Jaipur: राजस्थान की सियासत में इन दिनों एक नाम के खूब (Rajendra Singh Gudha) चर्चे हैं, वो और कोई नही बल्कि कांग्रेस के बर्खास्त मंत्री राजेंद्र सिंह गुढा हैं। वे हमेशा से ही अपने बयानों को लेकर सुर्खियों में रहें हैं। चाहे वो मामला लाल डायरी का हो या फिर सीएम अशोक गहलोत का खरी खोटी सुनाने का। लाल डायरी क्या है और इसके मायने क्या है ये आपको आर्टिकल में पता चल ही जाएगा। लेकिन पहले बात कर लेते है की आखिर राजस्थान की सियासत में हलचल मचा देने वाले शख्स राजेंद्र सिंह गुढ़ा कौन है? बता दें कि झुंझुनूं जिले के उदयपुरवाटी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे राजेंद्र गुढ़ा का जन्म 19 जुलाई 1968 को राजस्थान के पीलीबंगा, हनुमानगढ़ में हुआ। इनके पिता का नाम माधोसिंह है। इनके परिवार में इनके 12 भाई हैं। इन्होंने 12वीं तक की शिक्षा प्राप्त की। राजेंद्र गुढ़ा के भाई रणवीर सिंह भी पहले राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्र संघ के अध्यक्ष रहे। बाद में 2003 में लोकजनशक्ति पार्टी से विधायक बने।
उथल पुथल भरा रहा राजेंद्र गुढ़ा का राजनीतिक जीवन
दरअसल गुढ़ा शुरू से अपने बयानों के चलते सुर्ख़ियों (Rajendra Singh Gudha) में रहे हैं। राजेंद्र गुढ़ा ने पहली बार 2008 में राजनीती में कदम रखा। गुढ़ा ने 2008 में बसपा के टिकट पर कांग्रेस के विजेंद्र सिंह और भाजपा के मदनलाल सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ा। इसमें उन्होंने करीब 8 हजार वोटों से जीत हासिल की। 2008 में बसपा से चुनाव जीतने के बाद गुढ़ा ने बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया। वहीं साल 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राजेंद्र गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से उम्मीदवार पद पर खड़ा किया। लेकिन तब गुढ़ा चुनाव हार गये। इस कारण से 2018 में कांग्रेस पार्टी ने उनका टिकट काट दिया।गुढ़ा ने चुनाव जीतकर फिर थामा कांग्रेस का हाथ
इसके बाद एक बार फिर 2008 की तरह बसपा ने गुढ़ा को पार्टी में आने का एक और मौका दिया। तब राजेंद्र गुढ़ा ने इस ऑफर को स्वीकार कर लिया। बसपा ने इन्हें एक बार फिर टिकट देकर उदयपुरवाटी की सीट पर उम्मीदवार बनाया। इस बार इनका मुकाबला भाजपा के उम्मीदवार शुभकरण चौधरी और कांग्रेस के भगवान राम सैनी से था। इस त्रिकोणीय चुनाव में राजेंद्र गुढ़ा ने जीत हासिल की। चुनाव जीतने के बाद गुढ़ा ने बसपा से फिर दगा किया और एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गये। गहलोत सरकार ने इन्हें राज्यमंत्री बना दिया। राजेंद्र सिंह गुढ़ा राजस्थान की वतमान सरकार में सैनिक कल्याण (स्वतंत्र प्रभार), होमगार्ड और नागरिक सुरक्षा (स्वतंत्र प्रभार), पंचायती राज और ग्रामीण विकास मंत्री रहे।क्या है लाल डायरी का मामला
दरअसल राजेंद्र गुढ़ा विधानसभा में एक लाल डायरी (Rajendra Singh Gudha) लेकर पहुंचे और दावा किया कि इसमें सीएम गहलोत के कई राज छिपे हैं। लाल डायरी ज़ब्त कर सदन से निकाला गया तो गुढ़ा ने किसी एक और डायरी होने की बात कह दी। राठौड़ के जयपुर स्थित सोमदत्त अपार्टमेंट से लाल डायरी लाने वाले गुढ़ा ने कहा कि कांग्रेस के किस राष्ट्रीय नेता को कितना पैसा दिया गया, यह बात भी डायरी में लिखी हुई है। यह पैसा प्रतिमाह उन नेताओं को दिया जाता था, जो दिल्ली में गहलोत के लिए लॉबिंग करते थे, जिन्होंने पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की बगावत के समय सोनिया गांधी और राहुल गांधी के समक्ष लॉबिंग करके गहलोत की कुर्सी बचाई थी।क्या अब ओवैसी का दामन थामेंगे राजेंद्र सिंह
बता दें कि पिछले दिनों राजेंद्र गुढ़ा की AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी के साथ जयपुर में मुलाकात हुई। इस मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई बहस को जन्म दे दिया। इसके बाद गुढ़ा के ओवैसी की पार्टी ज्वॉइन करने के लगातार कयास लगाए जा रहे। इसको लेकर गुढ़ा ने भी बैठक के बाद संकेत दिए, कि ओवैसी के साथ उनकी विधानसभा चुनाव के मुद्दों को लेकर बैठक हुई। इसको लेकर उन्होंने आने वाले दिनों में बड़े संकेत देने की बात भी कही। अब देखने वाली बात है कि कभी बसपा तो, कभी कांग्रेस से बार-बार नाता जोड़ने वाले राजेंद्र गुढ़ा का अगला कदम क्या होगा?ये भी पढ़ें
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